अगर अंग्रेज ना होते – हम लोग अक्सर आर्टिकल के माध्यम से भूतकाल की उन वास्तविक तस्वीरों को अपने विचारों के गुबारों में पिरो कर भविष्य लिखने की कोशिश करते हैं. चूँकि इस बात पर किसी को कोई आपत्ति भी नहीं होनी चाहिए लेकिन परेशानी की बात ये है कि हम अक्सर अतिशय राष्ट्रवाद से प्रेरित होकर सिर्फ एक पक्ष के लिए लिखते हैं।
अगर उदहारण के लिए कहूँ तो- हम जब मुग़ल और हिन्दू राजाओं की तुलना करते हैं तो मुगलों को हमेशा ही लुटेरा बनाते हैं कभी ये नहीं सोचते कि अगर मुग़ल ना होते तो क्या होता ?
ऐसा ही एक दूसरा एक्साम्पल ब्रिटिश बनाम भारत के बीच देखने को मिलता है. यहाँ मजेदार वाली बात ये है कि यहाँ विभाजन अब मुग़ल और हिन्दू के आधार पर नहीं बल्कि हिन्दुस्तानी और ब्रिटिश के बीच होता है। अतः इस ऐडे-टेड़े एकतरफा इतिहास को आज एक ऐसे नए दृष्टिकोण से समझने की कोशिश करेंगे. जो हमें वर्तमान के प्रति आश्स्त करता हो….
आपको एक बात क्लियर कर दूँ की भारत पर किसी विदेशी शक्ति द्वारा शासन किया जाना एक ऐसी अव्संभावी प्रक्रिया थी जिसे टाला जाना लगभग नामुमकिन था. क्योंकि ये हमारी भौगोलिक विशेषता के कारण था, हमारे देश के संसाधन इस दुनिया को चहक-चहक कर आमंत्रण दे रहे थे, अतः भारत पर किसी विदेशी शक्ति द्वारा राज किया जाना कोई बड़ी बात नहीं थी।
अब बात करते हैं उस मुद्दे पर जिस मुद्दे पर सबसे ज्यादा चर्चा होती है, अगर अंग्रेज ना होते – क्या भारत पर अंग्रेजों का राज भारत के लोगों पर अत्याचार था?
मेरा जवाब है नहीं!!
इसका कारण है कि हमें ब्रिटिश तौर-तरीकों पर सवाल उठाने से पहले एक बार जापान, पुर्तगाली, डच के बारे में भी जान लेना चाहिए. आपको ज्ञात हो कि पुर्तगाली ने जहाँ भी अपने पैर पसारे उन्होंने वहां की संस्कृति तो बदली ही साथ ही महिलाओं का वलात्कार भी किया, वही डच का उद्देश्य तो व्यापार से ज्यादा इसाई धर्म को फैलाना था, फिर अगर अंत में जापानियों के कारनामों को जितना बखाने उतना कम होगा. सिर्फ इतना जान लीजिये की द्वितीय विश्व युद्ध से पहले जापान ने पूरे दक्षिण एशिया को अपना उपनिवेश बना लिया था, और जापान जिस तरह अपने उपनिवेशों के साथ गन्दा व्योवहार करता था उसे कौन नहीं जानता, वहीँ ब्रिटिश इस दुनिया के सामने कम से कम सभ्य होने का दिखावा करते रहे. जिस कारण भारत की संस्कृतिक विरासत को कोई क्षति नहीं पहुंची।
दूसरा प्रश्न है- अगर अंग्रेज ना होते तो क्या आज भारत का क्षेत्रफल 32 लाख 87हज़ार 263 किलोमीटर होता ?
मेरा जवाब है नहीं!!
क्योंकि हम जानते हैं भारत सैकड़ों रियासतों में बटा हुआ था. इसका कारण था वह भौगोलिक विविधता जो गंगा- जमुना तहजीब और दक्षिण की तहजीब को विविधता देती थी. फिर भारत एक कैसे हो सकता था? स्वतंत्रता पश्चात सरदार पटेल ने अथक प्रयास किये थे तब जाकर 565 रियासतें १ देश के रूप मे पिरोई गई थी. इसलिए हम कहते है कि यह विदेशी शोषण का प्रभाव ही था जो हममें राष्ट्रवाद की लौ जागी और आखिरकार हम एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हुए। अगर आज भारत में राजतन्त्र कल्पना करें तो हम अंदाज़ा लगा सकते हैं कि भारत राजपुताना, मराठा, अवध, हैदरावाद, मैसूर और अहोम राजवंश के रूप में ही बटा होता और यही राजा भारत को अपने-अपने राष्ट्र के रूप में स्थापित कर चुके होते।
अगर अंग्रेज ना होते – अतः कुल-मिलाकर निष्कर्ष के साथ मैं कहना चाहता हूँ कि इतिहास का कोई भी परिवर्तन यों ही नहीं होता बल्कि उस परिवर्तन होने के पीछे बहुत बड़ा कारण होता है, अगर फिर भी कुछ रूदिवादियों का मन न भरे तो एक यूनिवर्सल वाकया तो है ही —“ जो होता है अच्छे के लिए ही होता है” ।इसी से संतुष्टि पा ले और अपना राष्ट्रवाद अपने पास रखें।
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