23 मार्च 1931 को चारों तरफ खबर थी कि कल भगत सिंह को फ़ासी लगनी है. 24 मार्च की सुबह ही खबर आने लगी कि भगत सिंह को फ़ासी लग चुकी है और लोगों में एक अजीब सी बेचैनी होने लगी थी. जो खबर लोग आसपास से सुन रहे थे, उसका सच जानने के लिए यहां-वहां भागे जा रहे थे और अखबार तलाश रहे थे.
काश आज़ादी के वक़्त भगत सिंह जिंदा होते. आप कल्पना कीजिये कि अगर भगत सिंह देश के प्रधानमंत्री बनते, तब भारत की तस्वीर कैसी होती? काश देश के नेताओं ने भगत सिंह की फ़ासी को रोकने के प्रयास किये होते.
आइये देखते हैं कि अगर शहीद भगत सिंह जी देश के प्रधानमंत्री बनते, तब इन 5 प्रमुख समस्याओं का जन्म हो पाता क्या ?
- क्या देश का बंटवारा हो पाता?
भगत सिंह अगर देश संभाल रहे होते, तो भारत का बँटवारा शायद ना हुआ होता. जिन्ना की भगत जी ने कोई बात नहीं सुनी होती. भगत सिंह जी ने शहीद होने से पहले एक पत्र लिखा था जेल से, जिसमें इन्होनें हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात पुरजोर तरीके से कही थी. पहली बात तो यही है कि भगत सिंह जी अगर जिंदा होते तो अंग्रेज देश के दो टुकड़े नहीं कर पाते.