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हिन्दू धर्म में मूर्ति पूजा कोई ढोंग नहीं है ! कारण नंबर 3 मंदिर की मूर्ति पर सर झुकाने पर मजबूर कर देगा

मूर्ति पूजा

एक समय ऐसा भी था जब एक हिन्दू व्यक्ति मूर्ति पूजा करके भी मोक्ष की प्राप्ति कर लेता था.

उस समय को सतयुग बोला गया था. अभी वर्तमान में कलयुग चल रहा है और कलयुग में बेशक मूर्ति पूजा से मोक्ष नहीं मिलता है किन्तु इससे ईश्वर की ओर बढ़ने का एक रास्ता जरूर खुल जाता है.

लेकिन आज कुछ लोग बोलते हैं कि हिन्दू धर्म मूर्ति पूजा में फँसा हुआ है. इतने सारे देवी देवता और ऊपर से मूर्ति की पूजा. तो आज हम आपको बतायेंगे कि हिन्दू मूर्ति पूजा क्यों करते हैनं और यह कोई ढोंग नहीं है.

1.  हमारे मन को एक चित्र चाहिए होता है

अब आप जरा अपने स्कूल समय में जाइए. आपको अ से अनार पढ़ाते वक़्त अनार की एक चित्र दिखाई जाती थी. ताकि आपके मन में इसका एक चित्र बन जाए. अब ऐसा ही यहाँ है. मूर्ति देखने से ईश्वर के प्रति विश्वास जागता है. वह कैसा है इस बात की पुष्टि हो जाती है.

2.  मन की बात दीवारों से नहीं होती है

क्या कभी आपने अपने मन की आत दिवार से करके देखी है? और जिसको हमने कभी देखा ही नहीं उस पर विश्वास कैसे हो सकता है? यह तो कुछ यही हुआ कि मैं रोज देश के प्रधानमंत्री से बिना मिले अपनी शिकायत करूँ. तो हमें अपने मन की बात किसी से कहने के लिए एक रूप की जरूरत पड़ती है. वही रूप इंसानों ने मूर्तियों को बनाया है.

3.  जब एक मूर्ति में डाले जाते हैं प्राण

अपने कभी महसूस किया होगा कि मंदिर की मूर्ति में हमें वाकई कोई अजीब सी शक्ति नजर आती है. और कई मूर्तियाँ तो हमारे सवालों का जवाब भी देती हैं. तो यहाँ यह जानना रोचक है कि मंदिर में मूर्ति रखते समय उसमें प्राण डाले जाते हैं. जब एक बार यह क्रिया पूरी हो जाती है तो उसमें एक शक्ति विराजमान हो जाती है जो हमारी बातों को सुनती है और उनका हल निकालती है.

4.  मूर्ति पूजा भक्ति का पहला चरण

मीरा ने अपनी भक्ति की शुरुआत मूर्ति से ही की थी. भगवान के इस रूप को सबसे पहले मन में बैठाया और तब भक्ति के रास्ते पर आगे निकलीं. मूर्ति पर ध्यान लगाने से मन एक जगह रुकता है और मन को स्थिर करने के लिए उसको एक जगह लगाना जरुरी होता है. मीरा का मन जब रुक गया और तब मूर्ति के भगवान ने ही उनको आगे की भक्ति के लिए शक्ति प्रदान की थी.

5.  चाँद को देखकर रोजा तोड़ना भी मूर्ति पूजा ही है

हमारे मुस्लिम भाई अक्सर हिन्दुओं की मूर्ति पूजा पर सवाल उठाते हैं तो एक बार इन भाइयों से पूछा जाए कि क्या चाँद को देखकर रोजा खोलना भी के तरह से मूर्ति पूजा नहीं है? चाँद को देखने से उसके रूप को निहारा जाता है. इसके अलावा भी कई मौकों पर हमारे यह भाई मूर्ति पूजा करते हैं. अब इसी तरह से ही इसाई भाई भी क्रास को मानते हैं जो एक मूर्ति पूजा ही है.

इसलिए मूर्ति पूजा व्यक्ति की शक्ति को बढ़ाती है और हमें आगे मुश्किलों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है. अब आप अगर मंदिर जाए तो प्राण के कारण जीवित पूर्ति के सामने सर झुकाना बिलकुल ना भूलें.