विज्ञान और टेक्नोलॉजी

मध्यप्रदेश के इस आइएएस अधिकारी ने किया ऐसा काम जिससे किसानों की आय हो गई तिगुनी।

उमाकांत उमराव : – “मेरा भारत महान”

बचपन से लेकर अब तक अक्सर ही हम सब ने यह वाक्य सुना होगा, जैसे कि कभी अपने टीचर के मुंह से तो कभी लालकिले के मंच से। लेकिन साथ ही ये भी हो सकता है कि यह नारा कुछ अन्य बिभिन्न सन्दर्भों में भी सुना हो। खैर आज हम यह नारा बिभिन्न संदर्भो में नहीं बल्कि सच्ची देश भक्ति के सन्दर्भ में समझने जा रहे हैं जिसे बिभिन्न देश भक्त, सेना के जवानों ने अपनी कर्त्तव्य निष्ठा के बल पर सार्थक बनाया।

ऐसे ही एक देशभक्त का नाम है श्री उमाकांत उमराव –

यह कोई साधारण नाम नहीं है बल्कि भारतीय प्रशासन में जिले की कमान सँभालने वाले एक आईएएस अधिकारी हैं जिन्होंने अपने जिले के किसानो की बदहाल स्थिति को समझते हुए कुछ ऐसे  कल्याण कार्य किए जो केंद्र अथवा राज्य सरकार भी ना कर सकी। वैसे हम तो जानते ही है किसानो की आय बढाने का लक्ष्य सरकार का यूनिवर्सल लक्ष्य है जो 70 साल पहले शुरू हुआ था और सतत जारी है।

लेकिन श्री उमराव ने सरकार तथा अन्य उदासीन प्रशासन की इस धारा से हटते हुए अपने स्तर से किसानो की आय बढाने के लिए प्रयास शुरू किए. जिसे इस तरह समझ सकते हैं-

“2006 की बात है जब उमाकांत उमराव देवास के आईएएस अधिकारी थे, किसानो की कम आय तथा परेशानियों को देखते हुए उन्होंने कुछ किसानो के सामने मानसून तालाब की योजना रखी।

मानसून तालाब का अर्थ है “ऐसे तालाब जो औसतन 8 फीट लम्बा तथा 10 फीट गहरा होता है। यह तकरीबन 1 हेक्टेयर की जमीन घेरता है, जिससे 8 से 10 हेक्टेयर जमीन को साल भर सींचा जा सकता है तथा अनाज की पैदावार भी 300 फीसदी तक अधिक होती है। “

यह उमाकांत उमराव का ही आईडिया था जिसकी वजह से कुछ किसान इस पहल के लिए राजी हुए और उस साल किसानों ने 1 की बजाय 3 फसलें उगाई जिससे उनकी आय तीन गुना तक बढ़ गई।2016 में यहाँ ऐसे पांच लाख तालाब बनाये जा चुके हैं। आप इसी बात से अंदाज़ा कर सकते हैं कि मानसून तालाब किसानो के लिए कितनी सार्थक पहल हो चुकी है।

आखिर में जब तेजी से इस प्रणाली का प्रसार शुरू हुआ तब यह बिभिन्न क्षेत्रों में फैलने लगी। बुंदेलखंड के किसानों ने 2013 में देवास का दौरा किया तथा मानसून तालाब खोदे, जिसका परिणाम यह हुआ कि 2017 में औसत से काफी कम वारिश होने के बावजूद यहाँ के किसान 2 फसलें उगा सके। इसी तरह 2016 में मराठवाड़ा के किसानों ने भी इस तरह का प्रयोग किया और इसका लाभ लिया ।

यह उमाकांत उमराव का सम्मान ही है कि उनके सफल प्रयोग को देखते हुए कृषि विभाग ने किसानो को प्रोत्साहित करने के लिए मानसून तालाब स्कीम ही बना दी. आज यह स्कीम “राम-बलराम” स्कीम के नाम से मशहूर है तथा इस अभियान के तहत कम से कम 12 फीट गहरा मानसून तालाब बनाने वाले किसानों को 80 हज़ार से 1 लाख रूपए तक की प्रोत्साहन राशि भी दी जा रही है।

“अतः अंत में “मेरा भारत महान” कुछ सन्दर्भों में ना सही लेकिन जब तक उमाकांत उमराव जैसे अधिकारी प्रशासन में मौजूद है तब तक कोई भी इस नारे की बुलंदी को नहीं हिला सकता. इसी के साथ इस आईएएस अधिकारी को यंन्गिस्थान परिवार की तरफ से सेल्यूट.!! जय हिन्द!!

जाने मानसून तालाब और आईएएस उमाकांत उमराव के बारे में सब कुछ सिर्फ इस विडियो में-

 

Kuldeep Dwivedi

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