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दूसरों को शिक्षा प्रदान करने के लिए देश के सबसे कम उम्र IAS ने छोड़ दी नौकरी!

Roman Saini

IAS का मतलब जानते है ना आप?

इसका रुतबा, इसका नाम और पॉवर.

इसकी परीक्षा निकालने में ही लोगों की उम्र निकल जाती है, लोग लगे रहते है इस उम्मीद में कि बस एक बार IAS बन गए तो बस उसके बाद तो चांदी ही चांदी है.

अब ज़रा सोचिये कि कोई 23 साल की उम्र में पहली बार में ही इस कठिन परीक्षा में सफल हो जाये तो उसका भविष्य कितना सुनहरा होगा. वो युवा कितना आगे जा सकता है, शायद केंद्री सचिव के स्तर तक.

अब आपको बताते है रोमन सैनी के बारे में जो मात्र 16 वर्ष की उम्र में देश के सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज AIIMS की परीक्षा के में सफल हुए.

22 साल की उम्र में डॉक्टर की उपाधि मिली और उसके बाद 22 साल की उम्र में उन्होंने IAS की परीक्षा उत्तीर्ण करके देश के सबसे कम उम्र के प्रशासनिक अधिकारी बने.

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विलिक्षण योग्यता के धनी रोमन ने IAS की परीक्षा में देश भर में 18वा स्थान हासिल किया था. राजस्थान में कोटपुतली तहसील के छोटे से गाँव रायकरनपुर के मूल निवासी है रोमन और उनका परिवार.

2013 में IAS बनने के बाद रोमन ने विचार किया कि बहुत से ऐसे पढने में तेज़ बच्चे है जिन्हें सही मार्गदर्शन और कोचिंग ना मिलने की वजह से प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल नहीं हो पाते.

इस समस्या को ध्यान में रखकर रोमन ने IAS रहते हुए ही अपने मित्र के साथ UNACADEMY  नाम के संस्थान की स्थापना की.

इसके माध्यम से रोमन प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वालों का मार्गदर्शन करते है , उन्हें व्याख्यान देते है और अपने लेक्चर के माध्यम से पढ़ाते भी है.

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IAS की ट्रेनिंग के दौरान ही रोमन ने फैसला लिया कि वो ये नौकरी छोड़कर बच्चों को पढ़ाएंगे.

उन्होंने ऑनलाइन कोचिंग शुरू किया है इसमें फ्री में मार्गदर्शन किया जाता है. YouTube पर भी रोमन के विडियो है जिनकी सहायता से हजारों युवाओं का मार्गदर्शन होता है.

रोमन को पढ़ाना बेहद पसंद है इसीलिए उन्होंने IAS  जैसी प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर बच्चों को पढ़ाने और मार्गदर्शन करने का निश्चय किया.

रोमन ने बताया कि IAS  छोड़ने का फैसला मुश्किल था जिसके बारे में वो बहुत समय से सोच रहे थे अंत में शिक्षण को लेकर उनके जूनून की जीत हुई और उन्होंने उस नौकरी को छोड़ दिया जिसे पाने का सपना लिए लोग पूरी जिन्दगी निकाल देते है.

पढ़ाने के अलावा रोमन सैनी को गिटार बजाने का भी शौक है. उनका सपना है कि इस प्रकार की मुफ्त शिक्षण संस्थाओं की तादाद बढे जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों को मदद मिले और उनके सपने पूरे हो सके.

रोमन ने जो किया वो करने के लिए बहुत हिम्मत की ज़रूरत होती है, आज जहाँ दुनिया सिर्फ पैसे और पॉवर के पीछे भागती है उस दौर में IAS जैसी प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर शिक्षण के क्षेत्र में आना बहुत ही बहादुरी का काम है.

रोमन सिंह के ज़ज्बे को हम सलाम करते है और आशा करते है कि वो शिक्षा पद्धति में बदलाव लाने में सफल हो और जो लोग पैसे की कमी से उचित साधनों और मार्गदर्शन से वंचित रह जाते है उनके लिए सफलता के नए रास्ते खुले.