भारत २१वी सदी में कितना पिछड़ा हुआ है, यह समाज का आइना देखने पर ज्ञात होता है.
अच्छे दिन का भरोसा देने वाले पीएम आज विदेशों में यात्रा करने में व्यस्त है.
इस में कोई दो राय नहीं है कि वे औद्योगीकरण और विदेशी निवेश को आमंत्रण देकर भारत की छवी प्रगतिशील करना चाहते है. किंतु विदेश और देश में राज्यों को भेट यात्रा करना मुनासिफ नहीं है.
कोई भी परिवर्तन उपर से नहीं किया जा सकता. एक अच्छे वर्तमान के लिए भारत (पिछड़ा देश) के अंदर झांक कर देखने की जरुरत है. वरना इंडिया (डेवलोपिंग कंट्री) केवल आगे बढेगा और देश के दो चेहरे भविष्य में नज़र आयेंगे.
अंधविश्वास निरोधक कानून देश में लाने के लिए नरेंद्रा दाभोळकर कि बली चढ़ी है.
बावजूद इसके आज भी अंधविश्वास के चलते समाज नरबली देने से नहीं कतराता है.
क्यों चढाई नरबली ?
ग्लोबल वाॅर्मिंग के परिणाम कुछ सालों से दिन ब दिन बढ रहे है. यही एक बड़ी वजह है कि भारत में भी सर्दी में गर्मी तो कभी गर्मी में बरसात ने आम जनता की कमर तोड़ दी है .
इस बार गर्मी में कुछ ऐसे राज्य है, जहा सूरज की किरने कहर मचा रही है.
ऐसा ही एक राज्य झारखंड है. जहा गर्मी का तापमान 47-50 डिग्री पार कर रहा है.
गर्मी से बेहाल आम जनता के पास फैन और मध्य वर्ग के पास कूलर होते है. जो इस गर्मी को दूर करने के लिए पर्याप्त नहीं है.
इस राज्य में किसान और मजदुर की आबादी ज्यादा है.
बारिश के कोई आसार नज़र नहीं आ रहे है. ऐसे में मौसम विभाग ने यह भी बता दिया है कि जून के दुसरे हफ्ते बारीश का आगमन हो सकता है.
इस आशंका के चलते, जल्द बारीश होने के लिए कुछ तांत्रिकों ने एक 55साल के इंसान की बली चढाई.
नरबली कैसे चढ़ाई गई ?
बताया जाता है कि तांत्रिकों ने उस इंसान का सर काटकर धान के खेतों में जाके गाढ़ दिया है.
लोग कहते नज़र आये की इससे उन तांत्रिकों को ऐसा लगता है कि वर्षा जल्द होगी और धान की फसल अच्छी होगी, जिससे सभी को फायदा होगा.
बेबस की चढाई बली ?
झारखंड की राजधानी रांची से नजदीक गुम्ला जिले के कदमदोहर गांव में रहने वाला थेपा खारिया की चढ़ी बली.
खारिया थेपा (55) वैसे तो अकेला ही रहता था.
शायद यही मौका तांत्रिकों ने उठाया और खारिया की बली चढा दी.
कैसे पता चला नरबली चढ़ाई गई?
खारिया गए रविवार शाम के बाद दिखा नहीं. गांव के लोगों को बाजार में खारिया की गैर मौजूदगी लगी.
लोग खारिया के घर गए और दरवाजा खोलने की कोशिस की. दरवाजा नहीं खुलने पर लोगों ने उसे तोड दिया.दरवाजा खुलने पर बिना सर का खारिया का धड खून में लथपथ लोगों ने देखा.
पुलिस जांच.
पुलिस मौके पर गई और छानबीन करते हुए लोगों से पूछताछ की.
पुलिस ने बताया कि देर रात रविवार को खारिया पर हमला किया गया है. यह बात नाकारी नहीं जा सकती की उसकी बली ना चढी हो.
खारिया के परिवार के सदस्यों ने पुलिस को बताया है कि उसके पीछे तांत्रिक लगे थे. यह उन्ही का काम है. हलाकि पुलिस जांच कर रही है. हला की पुलिस नरबलि से इनकार नहीं कर रही है.
कुछ पाने के लिए किसी की जान लेना कितना सही है?
माना की अब सरकार ने अंधविश्वास निरोधक कानून बनाया. लेकिन लोगों में जागरूकता बढाने के लिए ऐसे कौन से कारगर उपाय किये है. जिससे आज भी नरबली चढाने से लोग नहीं डर रहे है.
केवल विग्यापन और मन कि बात करने से इतने साल से लोगो के दिमाग में बसा अंधविश्वास का भूत कैसे निकलेगा. इस के लिए सरकार को उन घरो तक जागृति फैलानी होगी वो भी उनके भाषा में.
वरना इस तरह नरबली चढाने से कोई भी कानून ऐसे लोगो और तांत्रिकों को नहीं रोक सकता है.