इंसान इंसान को ख़त्म कर रहा है!
नरसंहार इंसानियत को खत्म करने वाला हैवानियत भरा कार्य है.
नरसंहार में बहुत सारे इंसानों को एक साथ सामूहिक रूप से बिना किसी वजह या बिना किसी कारण मार दिया जाता है. इस हत्या में व्यक्तिगत आक्रोश, निजी स्वार्थ अपराधी स्वभाव या राजनीति स्वार्थ छुपा होता है.
यह नरसंहार इंसान को शर्मसार करने वाला दर्दनाक नज़ारा होता है, जो सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि और कई देशों में भी हुआ है .
तो आइये देखते है दुनिया के नरसंहार और नरसंहार की तसवीरें –
नरसंहार की तसवीरें –
1919 को भारत में हुआ जलियावाला बाग़ हत्या काण्ड जिसमें बैसाखी पर्व पर पंजाब में अमृतसर के जलियावाला बाग़ में ब्रिटिश ब्रिगेडियर जनरल डायर ने मासूम भारतीयों पर अंधाधुंद गोलियां चलाई, जिसमें अनगिनत लोगो को मौत हुई थी. इस नरसंहार में अंग्रेजो ने भारतीयों की क्रूरता और बर्बरता पूर्वक हत्या कर दी थी.
1943 में जब भारत में तूफ़ान को बहाना बनाकर आकाल घोषित किया गया था, तब अच्छी उपज के बावजूद बांग्लादेश, भारत का पश्चिम बंगाल, बिहार और उड़ीसा में अकाल का भयानक दौर शुरू हुआ था. वास्तव में यह आकाल प्राकृतिक त्रासदी नहीं थी, बल्कि अंग्रेजों द्वारा निर्मित थी. इसमें अनाज दुसरे देश निर्यात कर लागभग 30 लाख लोगों को भूखे रखकर तड़पा तडपा कर मार दिया गया था.
भारत पाकिस्तान विभाजन के समय सन 1947 में हिंदू- मुसलमानों का साम्प्रदायीक दंगा हुआ जिसमें लाखों लोगो की हत्या और मौत हो गई. इस भारत पाकिस्तान विभाजन ने इंसानियत को ख़त्म कर दिया था. इस विभाजन में इंसान का क्रूरता पूर्वक नरसंहार किया गया था, लगभग 5 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई थी.
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया का विभाजन भी इंसानियत को शर्मसार करने वाला विभाजन था. द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात 1950 में कोरियाई युद्ध से लगभग 35 लाख से भी अधिक लोगों की मौत हुई थी. जब तक युद्धविराम हुआ तब तक 40000 राष्ट्र सैनिकों की मौत हो चुकी थी. उत्तर कोरिया और अन्य देशों में लगभग 10 लाख सैनिकों की मौत हो गई थी. जबकि असैनिक नागरिकों 20 लाख से भी अधिक थे.
द्वितीये विश्व युद्ध के बाद रूस ने भी अपने कब्जे में किए भाग पूर्वी-मध्य यूरोप से गैर जर्मन व अन्य पडोसी देश के लगभग 10 करोड़ जनता को निर्वासित किया था, जिसमें आधे से ज्यादा लोग अकाल के कारण और बीमारी ग्रस्त होकर मर गए थे. इस घटना को नरसहांर या जातीय और नस्लीय नरसंहार कहा गया क्योकि इस घटना में सिर्फ जर्मन जनता को लक्ष्य रखा गया.
1994 अफ्रीका में किगली में हवाई जहाज के अंदर बोर्डिंग के समय रवांडा के राष्ट्रपति हेबिअरिमाना और बुरुन्डियान के राष्ट्रपति सिप्रेन की क्रूरता पूर्वक हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद ये भयानक नरसंहार शुरू हुआ. यूरोपीय देशों की राजनीति में क्रूरता पूर्वक जनसंहार किया गया. यह नरसंहार आधुनिक दुनिया के इंसानों की इंसानियत को कलंकित करने वाली घटना थी, जिसको किसी ने रोकने की कोशिश तक नहीं की. लगभग 100 दिनों तक नरसंहार किया गया, जिसमें लगभग दस लाख लोगों की मौत हुई थी जो पूरी आबादी का लगभग 20 प्रतिशत भाग था.
ऑटोमन सरकार के प्रायोजित नरसंहार था जिसमें 10 से 15 लाख अल्पसंख्यक आर्मीनियों की हत्या कर दी गई थी. 24 अप्रैल 1915 से शुरू हुआ यह नरसंहार पहले विश्वयुद्ध के बाद 1923 तक चला था. इस क्रूर नरसंहार को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था.
कंबोडिया में 1975 से लेकर 1978 तक चला इस नरसंहार में हज़ारों लोगों की क्रूरता पूर्वक हत्या कर दी गई थी. यह सिर्फ ख्मेर रूज की तानाशाही का अंजाम था. यह एक सामुदायिक नरसंहार यूटोफिया को जनता पर लादने और जनता द्वारा नहीं मानने पर किया गया था. इसमें विरोध करनेवाले शिक्षित बिजनेसमैन, डॉक्टर, शिक्षक, प्रध्यापक, वकीलों को जले में बंद करके यातनाएं दी गई थी.
1939 में जर्मनी से विश्व युद्ध भड़काने के पश्चात हिटलर द्वारा लगभग 60 लाख यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया गया था. जिसमे सिर्फ 15 लाख बच्चे ही थे. यहूदियों नरसंहार जर्मनी की नीचता और हिटलर की हैवानियत की देन थी.
1929 से 1953 तक रूस में में चलने वाला नरसंहार जिसमें स्टालिन ने भूमि सुधार कार्यक्रम के बहाने जनता के खेतों का सरकारीकरण कर अनाज उत्पादन में बढ़ोतरी करने की कोशिश से आकाल पड़ गया और 1932 में रूस में अनाज उत्पादन ना के बराबर हुआ. जिससे लोग भूखे मरने लगे और बीमारियाँ फैलने लगी. इस अकालमें लगभग 5 से 6 करोड़ जनता की मौत हुई थी, जिससे इंसान चोर डकैते के साथ नरभक्षी भी बन गए थे और इंसानों को मार मार कर खा रहे थे .
चीन में 1966 से 1976 तक सांस्कृतिक क्रांति का नाम लेकर नरसंहार किया गया, जिसमें सरकार विरोधी जनता को मौत के हवाले कर दिया गया था. लाखों लोगों की हत्या और मौत हो गई थी और करोड़ों लोग माओत्से शासनकाल में मौत की बलि चढ़ चुके थे. इसके बाद चीन में 1959 से 1961 तक अकाल के कारण हुई हत्या और मौतें हुई थी.
यह दुनिया के सबसे बड़े नरसंहार की तसवीरें थी. इन नरसंहार की तसवीरें देखने के लिए भी हिम्मत चाहिए. कच्चे जिगर का इंसान ये नरसंहार की तसवीरें नहीं देख सकता. इन नरसंहारों में राजनीति स्वार्थ या देश के बटवारे के दौरान क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी गई थी. यह सारे नरसंहार ना केवल देश को कलंकित करते है बल्कि इंसानियत को भी शर्मसार करते है.
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