कभी लैपटॉप को खोल के मदरबोर्ड देखा?
कभी घर में टूटी हुई टेबल की टांग जोड़ने की कोशिश की?
वाशबेसिन के नलके का वॉशर बदला कभी?
ज़ाहिर है आप सोच रहे होंगे कि मैं आपसे ऐसे काम करने की उम्मीद भी कैसे कर सकता हूँ?
आप तो मेडिकल या एम बी ए या कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई में मशगूल होंगे, कोई ट्यूशन होगी या कोई एक्स्ट्रा क्लास, है ना?
यही हमारे देश का दुर्भाग्य है कि हम ऐसे कामों को छोटा समझते हैं और सोचते हैं कि पढ़-लिख कर यह काम थोड़े ही ना करना है? हम तो मैनेजर बनेंगे, बड़े बॉस और कुर्सी पर बैठकर बस हुक़्म चलाएँगे! कभी सोच कर देखिये, अगर सभी बॉस बनेंगे, तो काम कौन करेगा? और उस से भी ज़रूरी बात सोचने वाली यह है कि कौन कहता है यह हाथ का काम छोटा है? बल्कि यह तो वो काम हैं जो हर किसी को आने चाहिएँ|
इसे कहते हैं अपने पाँव पर खड़ा होना बिना किसी के सहारे के, बिना किसी की ज़रुरत महसूस किये हुए!
अगर हम पश्चमी सभ्यता की बात करें, जैसे कि अमरीका, जहाँ हर भारतवासी जाके बसना चाहता है, वहाँ का बच्चा-बच्चा अपने घर के ऐसे काम सीखता है और करता भी है| बिना किसी शर्म के| एक कारण यह है कि वहाँ प्लंबिंग, कार्पेंटरी वगैरह के काम बहुत ही महँगे हैं और हर आदमी सोचता है कि जहाँ तक मुमकिन हो, खुद ही यह काम कर लिए जाएँ!
यह सिर्फ़ पैसा बचाने का जरिया नहीं है बल्कि आत्मनिर्भरता के लिए भी एक महत्वपूर्ण क़दम है| जब आप बचपन से एक्सपेरिमेंट करते रहते हैं तो कुछ नया करने की क्षमता तो बढ़ती ही है, किसी नए अविष्कार की संभावना भी कई गुना बढ़ जाती है| आप किसी पर निर्भर नहीं रहते और अपना घर चलाने में सक्षम हो जाते हैं| इसके विपरीत अगर सिर्फ़ किताबी पढ़ाई ही की है तो हर काम के लिए दूसरों की ज़रुरत रहेगी, पैसे खर्चने होंगे और समय जो नष्ट होगा वो अलग!
मैं यह कतई नहीं कह रहा कि पढ़ाई मत कीजिये और सिर्फ़ यही काम सीखिये| बल्कि अच्छे से पढ़ाई कीजिये, लेकिन हाथ के यह काम आने बहुत ज़रूरी हैं क्योंकि यह भविष्य में कब आपके काम आएगा, कहना मुश्किल है| दुर्भाग्य से अगर आपकी नौकरी चली गयी और कोई और काम नहीं मिला, तो इस हाथ के काम से कम से कम अपनी जीविका तो चला ही सकते हैं!
तो ज़रा जानिये आपके आस-पास की दुनिया कैसे बनी है, कैसे चलती है और हमेशा कुछ नया करने, नया सीखने का जज़्बा अपने अंदर रखिये|
बिजली, प्लंबिंग, कारपेन्टरी, कुकिंग के छोटे-मोटे काम आपके जीवन में बहुत काम आएँगे! इन्हें करने से ना तो आप छोटे हो जाएँगे और ना ही आपकी इज़्ज़त पर कोई धब्बा लगेगा! कितने ही दशकों से भारतीय माँ-बाप अपने बच्चों को इन कामों से दूर रखते आये हैं जैसे कि उनका बच्चा कोई राजा-महाराजा हो| अब वक़्त है सच में अपने पैरों पर खड़े होने का, सब कुछ सीखने का और हर काम को वो इज़्ज़त देने का जो आपको ज़िन्दगी जीने में मदद करता है!
शुरुआत टीवी के रिमोट को खोलकर भी कर सकते हैं दोस्तों| बस कुछ नया सीखिये!
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