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इन 3 ही तरीकों से सुलझाया जा सकता हैं ‘अयोध्या मंदिर-मस्जिद’ विवाद

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वैसे तो मंदिर-मस्जिद विवाद सुलझता हुआ नजर नहीं आ रहा है.

हाईकोर्ट ने अपना फैसला तो कुछ साल पहले ही सुना दिया था. उस फैसले के अनुसार तो यह सिद्ध हुआ था कि इस विवादित जमीन पर मंदिर था. ऐसा हम नहीं बोल रहे हैं बल्कि ऐसा कोर्ट में पेश किये गये सबूतों से सिद्ध होता है. लेकिन दूसरी तरफ अभी मामला सुप्रीम कोर्ट में है. देश में इस समय मंदिर बनाने को लेकर बहस चालू भी हो चुकी है.

कुछ लोगों ने तो मंदिर बनाने तक की तारीख घोषित कर दी है. हाईकोर्ट ने अपना फैसला बहुमत से दिया था कि विवादित भूमि जिसे राम जन्मभूमि माना जाता रहा है, उसे हिंदू गुटों को दे दिया जाए.

वहाँ से रामलला की प्रतिमा को नहीं हटाया जाएगा.

लेकिन मंदिर-मस्जिद विवाद के सुलझने की बात करें तो वह सुलझने की जगह उलझता ही जा रहा है.

तो आइये एक नजर उन 3 कारणों पर जिनसे मंदिर-मस्जिद विवाद सुलझ सकता है.

1.  मुस्लिम नैतिक आधार पर स्वीकारें की वहां कभी मंदिर ही था

वैसे इस बात को तो मुस्लिम लोग भी मानते हैं कि इस विवादित जमीन पर कभी मंदिर ही था. जमीन की खुदाई में इस बात के साफ सबूत भी मिले हैं. मस्जिद के प्रयोग में इस तरह के पत्थर और नक्काशी लगी हैं जो हिन्दू मंदिरों में लगाई जाति थी. हिन्दू शास्त्रों में भी यह बात मिली है कि वहां कभी राम मंदिर ही था. तो अब देश के मुस्लिम भाइयों को भाईचारा और नैतिकता के आधार पर इस बात को स्वीकार कर, एक महान उदाहरण कायम करना चाहिए जो इतिहास में इस्लाम धर्म को महान घोषित करने का काम करेगा.

2. हिन्दू लोगों का भी कुछ फर्ज है

अब हमारे मुस्लिम भाई सालों से वहां प्रार्थना करते हुए आये हैं तो ऐसे में यह स्थान इनके लिए भी पवित्र हो गया है. हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में यह बात कही भी है. तो हिन्दू लोगों का फर्ज है एक तो कोर्ट का निर्णय स्वीकार करना और दूसरा पास की किसी जगह पर मुस्लिम भाईयों के लिए मस्जिद निर्माण में मदद करना.

3. कोर्ट के फैसले का इंतज़ार

कानून से बड़ी कोई और शक्ति नहीं होती है. कोर्ट इस मुद्दे पर इतना अधिक समय इसीलिए ले रहा है क्योकि यह मुद्दा धर्म से जुड़ा हुआ है. करोड़ों लोगों की भावनाओं से जुड़ा है. विश्व के किसी और देश में ऐसा होता है तो निश्चित रूप से वहां तानाशाही फरमान लागू कर दिए जाते. तो इस मुद्दे पर कोर्ट का इंतजार किया जाये.

इन तीन बातों के अलावा जो लोग बोल मंदिर-मस्जिद हल लोगों के सामने पेश कर रहे हैं वह बेबुनियाद हैं. सभी को पता है कि यह विषय लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है इसलिए यहाँ सभी को नैतिकता के आधार पर ही काम करना चाहिए. कुछ लोग अगर यह बोलते हैं कि यहाँ अस्पताल या कोई और चीज बना दो तब यह बात दोनों ही वर्गों को अच्छी नहीं लगती है.

हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही वर्गों को शांति से बैठकर इस मुद्दे का हल निकाल लेना चाहिए.