क्या आप ऑफिस में रोज-रोज होने वाली किचकिच से तंग आ गए हैं, और जॉब छोड़ने की तैयारी कर रहे है?
वो भी नई जॉब मिलने से पहले ही!!!
तो रुकिए कहीं ये फ़ैसला अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा साबित ना हो जाएं.
अगर आप जिस ऑफिस में काम कर रहे हैं और उस ऑफिस में मिल रही सारी सुविधाओं और सैलरी से संतुष्ट है, मगर ऑफिस पॉलिटिक्स ने आप का जीना मुहाल कर रखा हैं.
तो हम आपको हालात से भागने की सलाह तो कतई नहीं देंगे,जब तक आपको और बेहतरीन अवसर ना मिले तब तक मौजुदा संस्थान से जुड़े रहने में ही भलाई है.
क्या है ऑफिस पॉलिटिक्स-
जब किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के लिए अपना हित अपने संगठन के हित से उपर हो जाता है(हालांकि इसका मकसद किसी ऑफिस या संगठन को नुकासान पहुंचाना नहीं होता हैं) तब किसी सहकर्मी के मन और करियर पर क्या प्रभाव पड़ रहा है,इस बात को पूरी तरह दरकिनार कर दिया जाता है. इसका शिकार इंसान कभी-कभी इसे समझ नहीं पाता है क्योंकि इसमें प्रत्यक्ष वाद विवाद की जगह पीठ-पीछे होने वाली कानाफ़ूसी, चुगलख़ोरी और चुपचाप से एक दूसरे के काम में कमी निकालने जैसी बातों को हथियार बनाया जाता हैं.
क्यों करते हैं लोग ऑफिस पॉलिटिक्स–
१.लोग जल्द से जल्दी प्रमोशन पाना चाहते है. आज कॉम्पीटीशन का जमाना है. ऐसे में प्रमोशन पाना टेढ़ी खीर बन गया है. ऐसे में अपने कलिग के खिलाफ ऑफिस पॉलिटिक्स से बेहतर तरीका और क्या हो सकता है भला.
२.कभी -कभी जलन की वजह से भी लोग ऑफिस पॉलिटिक्स करते हैं.
३.कभी-कभी छोटे मोटे झगड़ो या बेइज्जती का बदला ऑफिस पॉलिटिक्स के ज़रिए निकाला जाता हैं.
ऑफिस पॉलिटिक्स से निपटने के तरीके-
1. ऑफिस पॉलिटिक्स की वजह को समझना-
अगर आप ऑफिस पॉलिटिक्स का शिकार हो गए है,तो अपना आपा खोने के बजाए उसकी वजह समझना बेहद जरुरी हैं.सबसे पहले आपके सहकर्मी आपसे क्या कहना चाहते है ये समझिए उनके नेचर को जानिए और उनसे मुंह मोड़ने की बजाएं उनकी बात सुनने का प्रयास करे,जब आप किसी इंसान को अच्छी तरह समझ जाएंगे,तो आप में इस समस्या से जुझने का आत्मविश्वास (कॉन्फ़ीडेंस) अपने आप आ जाएगा.
2. आत्ममंथन-
1. किसी पर शब्दों के वार करने के बजाए आत्ममंथन ( सेल्फ़ रियलाईज़ेशन) ऑफ़िस पॉलिटिक्स से निबटने का बेहतरीन तरीका है.
2. कभी भी किसी के बारें में पीठ पीछे गॉसिप ना करें, ना ही ऑफिस में होने वाली कानाफूसी में शामिल होए.
3. वाद विवाद को तूल देने के बजाए उसे शांतिपूर्ण तरीके से कैसे खत्म किया जाए ये सोचे.आखिरकार आपको काम तो आपके सहकर्मियों के साथ ही करना है,ऐसे में मनमुटाव की स्थिती टीम वर्क को भी प्रभावित करती हैं.ऐसे में आप कंपनी के बेहतरीन रिजल्ट कैसे पा सकते हैं. 4. अपने गुस्से पर काबू रखने का प्रयास करें
3. पक्षपात ना करें-
भले ही कोई सहकर्मी आपसे कितना ही करीबी हो,और किसी कर्मचारी से आपका लेना देना बहुत कम पड़ता हो,तो भी सभी के लिए अपना व्यवहार समान रखें.उदाहरण के तौर पर कभी किसी पार्टी का इनविटेशन हम कुछ ख़ास लोगों को ही देते है,इस तरह किसी को इग्नोर करना आप पर बहुत भारी पड़ सकता हैं. साथ ही ये किसी दूसरे के लिए बेहद अपमानजनक हो सकता है.
4. अपनी पर्सनल बातें शेयर करने से बचें-
कभी-कभी हमें लगता है कि हम अपनी कुछ पर्सनल प्रॉब्लम्स को अपने कुछ ख़ास दोस्तो के साथ शेयर करे,लेकिन ये ज़रुरी नहीं कि मीठा बोलने वाले लोग दिल के साफ़ हो, अगर आपने नया-नया ऑफिस ज्वाईन किया हो तो इस बात का ख़ास ध्यान रखें .ऑफिस में कुछ वक्त बीतने के बाद आप खुद ही समझ जाएंगे कि किस पर भरोसा किया जाए और नहीं वैसे ज्यादा से ज्यादा कोशिश ये करें कि अपनी पर्सनल बातें पर्सनल ही रखे.
5. धैर्य रखें-
कहते है कि सब्र का फ़ल मीठा होता है, कभी-कभी हम ऐसी समस्याओं में फंस जाते है. जिसका कोई हल नहीं निकल पाता हैं, ऐसी स्थिती में तनाव लेने के बजाए उस स्थिती में अपने आप को ढ़ालने का प्रयास करें.कुछ समस्याएं वक्त के साथ अपने आप ही सुलझ जाती हैं.
अगर आप भी ऑफिस पॉलिटिक्स से निपटना चाहते हैं, तो ये नुस्खें आपके लिए काफी कारगर साबित हो सकते हैं.