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हिन्दू धर्म में गंगा जल न मिलने पर इस तरह बनाया जाता है गंगा जल!

हिन्दू धर्म में गंगा जल का विशेष महत्व है.

गंगा जल को सबसे पवित्र और पूजनीय माना जाता है.

इसलिए हिन्दू धर्म के हर शुभ कार्य, पूजापाठ, यज्ञ, हवन,  मृत्यु मोक्ष के लिए अंतिम समय में गंगा जल पिलाया जाता है.

गंगा जल गंगा नदी के पानी को कहा जाता है और यह जल शुद्ध और कीटाणु मुक्त रहता है.

कहा जाता है कि भागीरथी ने अपने कुल के उद्धार के लिए भगवान शिव से तप करके गंगा को मांग कर धरती पर उतारा था, जिसके कारण भागरथी के कुल का उद्धार हुआ और गंगा को जगत कल्याण के लिए धरती पर ही रहने दिया.

इसलिए इंसान के मृत्यु के समय गंगा जल पिलाया जाता है ताकि इंसान की आत्मा को मोक्ष की प्रप्ति हो और जन्म मरण के चक्र से मुक्ति मिल सके.

गंगा जल पवित्र जल है इसलिए ज्यादातर घरों में लाकर रखा जाता है लेकिन कभी कभी घर में यह जल नहीं मिल पाता है. ऐसे में हमारे शास्त्रों, पूर्वजो और ऋषि मुनियों ने घर में ही गंगाजल बनने की विधि बताई ताकि इंसानो के अंतिम समय में गंगाजल ना होने पर गंगा जल घर में ही बना सके.

तो आइये जानते है कैसे बनाते हैं घर में गंगा जल

गंगा जल बैक्टीरिया मुक्त और शुद्ध होता है .

एक तांबे का लोटा लेकर उसको साफ़ मांज कर साफ़ पानी में धो ले.

उस लोटे में कुआँ, नदी या बोर का जल ले. बोरिंग या नल का जल भी ले सकते हैं. कुआँ का जल शुद्ध होता है इसलिए कुआँ के जल को पहली प्राथमिकता दी जाती है.

तांबे के उस लोटे में जल भरकर रख दें और उसमे कुछ पत्ती तुलसी की डाल दें.

तुलसी की पत्ती गुणकारी और सबसे बड़ी औषधि है साथ ही हिन्दू धर्म में तुलसी को देवी माना गया है. इसलिए तुलसी की पत्ती का उपयोग किया जाता है.

तांबे का बर्तन भी हिन्दू धर्म में पवित्र माना जाता है. इसके साथ तांबे के बर्तन में पानी रखने से उसके कीटाणु खत्म हो जाते हैं और तांबे के गुण पानी में आ जाते हैं, जिससे शरीर को लाभ होता है. यह पानी शरीर को रोग मुक्त बनाता है और तुलसी की पत्ती से भी रोगों  का नाश होता है.

इस तरह तांबे के लोटे में पानी भरकर तुलसी पत्ती डालकर रखा जाता है. यह मिश्रण भी गंगाजल कहलाता है और  गंगा जल की अनुपस्थिति में उपयोग किया जाता है.

इस प्रकार तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमे तुलसी पत्ती डाल का शुद्ध और पवित्र गंगाजल बनाया जाता है.

इसलिए हिन्दुओ के हर मंदिर में प्रसाद के रूप में नारियल या मिठाई से पहले यह जल दिया जाता है.

Dr. Sarita Chandra

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Dr. Sarita Chandra

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