संगीत से जुड़ी कायनात, संगीत की ना कोई जुबां, संगीत में है गीता-कुरान,
संगीत में है अल्लाह-ओ-राम, संगीत में है दुनियां तमाम, संगीत माने न धर्म जात.
मशहूर गीतकार समीर द्वारा रचित इस गीत के बोल एकदम सही है. भारत देश की संस्कृति में संगीत को काफी महत्व प्राप्त है. चाहे किसी के नामकरण की विधि हो, मृत्यु के बाद प्रार्थनासभा या मंदिर में कीर्तन, संगीत सब जगह है. हम संगीत के लिए इतने बाँवरे हैं कि कोयल की कुहू-कुहू को और बारिश की टिप-टिप को भी संगीत का दर्जा देते है.
बहुत से लोग है जिन्हें संगीत एवं गीत में काफी दिलचस्पी है और इसमें अपना कैरियर बनाना चाहते है. आज हमारे पास विश्व प्रख्यात गीतकार हैं, तो इसका काफी योगदान भारत के संगीत घरानों को जाता है. पहले की बात और थी कि संगीत सीखने के साधन काफी सीमित थे, जैसे की सिर्फ संगीत घराने में ही था. पर आज की बात अलग ही है. काफी सारी संस्थाएं, विद्यालय, और विश्व विद्यालय, संगीत में डिप्लोमा, अंडर ग्रेजुएट तथा पोस्ट ग्रेजुएट पाठ्यक्रम उपलब्ध कराती हैं. अगर आपको भी संगीत में रूचि है तो निम्न लिखित जानकारी आपके लिए लाभदायक होगी.
पाठ्यक्रम की अवधि कार्यक्रम के अनुसार है, जैसे की डिप्लोमा तक़रीबन 2 वर्ष, बी.ए. 3 वर्ष और एम.ए 2 वर्ष.
पाठ्यक्रम संगीत सिद्धांत, संगीत के इतिहास, संगीत व्याख्या, आवाज़ अनुदेश और संगीत लेखन सिखाता है. कुछ पाठ्यक्रम के नाम:
- बी.ए. (संगीत)
- बी.ए. (तबला)
- बी.एफ.ए (सितार)
- बी.एफ.ए (तबला)
- संगीत में प्रमाणपत्र
- संगीत प्रशंसा और संगीत में प्रमाणपत्र
- डिप्लोमा संगीत में
- डिप्लोमा तबला में
कुछ संस्थाए जहाँ हम संगीत में करियर बना सकते है:
१) कलकत्ता विश्वविद्यालय
२) एतिल्डे महाविद्यालय ऑफ़ दिल्ली
३) एतिल्डे महाविद्यालय ऑफ़ राजस्थान
४) दिल्ली संगीत समाज, नई दिल्ली
५) हिमाचल प्रदेश महाविद्यालय
६) इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय
७) जय नरैन व्यास महाविद्यालय
८) बनारस हिन्दू महाविद्यालय
९) कुरुक्षेत्र महाविद्यालय
१०) सरस्वती संगीत कॉलेज
११) विश्व भारती विश्वविद्यालय
१२) दिल्ली विश्वविद्यालय
१३) आदर्श कला मंदिर
१४) मुंबई यूनिवर्सिटी
यह कोर्स करने के बाद आपको निम्न जॉब अवसर और जॉब भूमिका हासिल होगी:
- संगीतकार
- शिक्षक
- कंपोजर/ लेखक
- संगीत प्रकाशक
- संगीत पत्रकार
- संगीत चिकित्सक
- आर्टिस्ट मेनेजर (कलाकार प्रबंधक)
- टीवी चैनल
- एफ.एम. चैनल
- संगीत कंपनी