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एक की नहीं हैं आँखें, दूजे के नहीं हैं हाथ! फिर भी करते हैं दोनों मिल के करामात!

no eyes no hands

वो कहते हैं ना हिम्मत-ए-मर्दा, मदद-ए-खुदा!

बस वही सच कर दिखाया है इन दो यारों ने!

चीन के एली गाँव के रहने वाले जिआ हैक्सिआ और जिआ वेंकी खुदा के ऐसे दो चमत्कार हैं जो जीवन को हर हाल में भरपूर जीने की प्रेरणा देते हैं!

लेकिन इन दो घनिष्ठ दोस्तों को दो कहना शायद ठीक नहीं होगा! क्योंकि ये एक दूसरे के पूरक हो कर अब एक हो चुके हैं! एक साथ रहते हैं, एक साथ चलते हैं, एक साथ काम पर जाते हैं और एक साथ हँसते गाते भी हैं!

no eyes no hands

वेंकी अपाहिज हैं क्योंकि उनके दोनों हाथ नहीं हैं, जिन्हें उन्होंने एक बिजली का ज़बरदस्त झटका लगने की वजह से बचपन में ही खो दिया था!

और हैक्सिआ भी अपाहिज हैं क्योंकि उनकी एक आँख में पैदा होने के साथ ही मोतियाबिंद था, और दूसरी भी जाती रही सन 2000 में हुए एक एक्सीडेंट की वजह से!

मगर इनकी शारीरिक अपंगता कहीं से भी इनकी ज़िन्दगी में रुकावट नहीं बनती, क्योंकि ये एक दूसरे की कमी को पूरा करते हैं! वेंकी ख़ुशी-ख़ुशी बनते हैं हैक्सिआ की आँखें और हैक्सिआ बन जाते हैं वेंकी के दो हाथ, और बस कर डालते हैं दोनों मिल कर करामात!

कई सालों की दोस्ती और प्यार के चलते, ये दोनों दोस्त अब एक दुसरे को भाई की तरह ही समझते हैं और वैसे ही रहते भी हैं!

और सिर्फ इनकी ये अनोखी दोस्ती ही दुनिया के लिए एक मिसाल नहीं है, इनके पास कुछ और भी है जो आश्चर्यचकित कर देता है!

no eyes no hands

पिछले 13 साल में दोनों ने मिल कर अपने आसपास तक़रीबन 10,000 पेड़ उगा डाले हैं!

पूरी आदमजाति को तोहफा दिया है वेंकी और हैक्सिआ ने मिल कर! उन दोनों का कहना है कि जब वे दोनों अकेले थे तो किसी काम के नहीं थे, नौकरी नहीं थी, अपना और अपने परिवार का पेट भरने तक का कोई ज़रिया नहीं था! मगर अब जब दो मिल कर एक हो जाते हैं तो अपने लिए कई काम तो करते ही हैं, औरों के भी काम आते हैं!

no eyes no hands

जब दोनों ने मिल कर इस अनोखे मुहीम कि शुरुआत कि थी तो गाँव के लोग उन की खिल्ली उड़ाते थे! हँसते थे कि दो अपाहिज मिल कर क्या उखाड़ लेंगे! लेकिन आज सब कि जुबां बंद हो गयी है जब धरती का सीना फाड़ कर वेंकी और हैक्सिआ ने पूरी ज़िन्दगी उगा कर दिखा दी! उन के उगाये हुए पेड़ों पर अब पक्षी घोंसला उगाते हैं, गाँव वाले उन के फल खाते हैं, और पेड़ों कि वजह से गाँव में बाढ़ आने का भी कोई खतरा नहीं!

इसे कहते हैं, दोस्ती, ज़िंदादिली, और ज़िन्दगी को जीने का असल तरीका!

अगर मन में आत्मविश्वास हो, अपनों का साथ हो, और कुछ कर गुजरने की चाहत हिलोरें मारती हो, तो कोई भी शारीरिक या मानसिक कमज़ोरी आप का रास्ता नहीं रोक सकती!

हाँ तो फिर गायें हम भी? ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे 😀