गर्लफ़्रेंड के ग़ुस्से से बचाने तो यार ख़ुद भगवन भी नहीं आ सकते, इंसान क्या चीज़ है!
पर अब आपकी गर्लफ़्रेंड है और आप उसे प्यार भी करते हो तो उसके फटते हुए ज्वालामुखी को झेलना भी आप ही को पड़ेगा! जल जाओ, मर जाओ, लेकिन उफ़ की आवाज़ ना निकलने पाये!
ख़ैर, चिंता मत करो, बड़ी एड़ियां घिस के कुछ उपाय सोचे हैं भड़कती हुई महबूबा को ठंडा करने के, आओ ज़रा बताऊँ इस तपते हुए तवे पर कैसे बैठा जाए:
1) ग़ुस्सा थूक दो वत्स
जब सामने वाला ग़ुस्से में होता है तो जायज़ है कि आपको भी ग़ुस्सा आ जाये| पर यही मौका है अपने संयम की परीक्षा लेने का| आज तक जितनी किताबें पढ़ी थीं कि कैसे सब्र का फल मीठा होता है और कैसे ग़ुस्से पर काबू रखा जाए, उन सबका इस्तेमाल और प्रैक्टिकल एक्सपेरिमेंट करने का सही वक़्त यही है! वो चिल्ला रही हैं, आप शांत रहिये! वो आग उगल रही हैं, आप ठन्डे पानी का झरना बन जाइए! बस, शांति बनाये रखिये अपनी ओर से!
2) ग़लती मान भी लो
आधा समय तो तुम्हारी ग़लती होगी भाई तो मान लो! बाकी आधा वक़्त बेबात पर तुम पर जूते-चप्पलों का प्रहार होगा| तब भी मान लो ना, बड़े-बुज़ुर्ग कह गए हैं ग़लती मानने से इंसान छोटा नहीं हो जाता! और फिर गर्लफ़्रेंड के सामने ही तो ग़लती माननी है, वो तो अपनी है, कोई बात नहीं! शांति की कामना करते हो तो यह करना ही पड़ेगा!
3) कानों का इस्तेमाल
दो कान दिए ना उपरवाले ने? इस्तेमाल करो! यानि कि जब मैडम जी आगबबूला हों, तो चुप रहो और उनकी पूरी बात सुनो| निकालने दो उन्हें दिल की भड़ास, कितनी देर तक निकलेंगी? थोड़ी देर में जब शांत हो जाएँ, तो आराम से बात कर लेना!
4) आँखों को भी काम में लाओ
जब महबूबा खुन्नस निकाल रही हो तो यहाँ-वहां बगलें मत झाँको! जो भी करो, बोलो या सुनो, उनकी आँखों में आँखें डाल के करो| इस से यह पता चलेगा कि तुम उन्हें इग्नोर नहीं कर रहे और तुम्हारा पूरा ध्यान उनकी बात सुनने में ही लगा है! हाँ, जिन लड़कों ने आँखें खोल के सोने की प्रैक्टिस कर रखी है, वो ज़रा संभल जाएँ, ऐसा करना इन हालात में जानलेवा भी हो सकता है!
5) घूम आओ
यार ये वाला आईडिया ज़रा रिस्की हो सकता है लेकिन काम कर गया तो मुसीबत विकराल रूप लेने से पहले ही खिस्याई हुई बिल्ली की तरह दरवाज़े से बाहर निकाल जायेगी! कुछ करना नहीं है, बस प्यार से अपनी गर्लफ़्रेंड से कहो कि चलो कहीं घूम आते हैं, या चलो थोड़ा टहलते हुए बात करते हैं| अगर मैडम जी मान गयीं तो समझो आधा ग़ुस्सा शांत हो चुका है, बाकी चलते-फिरते हवा हो ही जाएगा!
वैसे तो यह सब आसान नहीं है और इस सबके बावजूद भी गर्लफ़्रेंड का कहर आप पर टूट सकता है पर कोशिश करने में क्या दिक्कत है? वैसे भी जूते पड़ने हैं, ऐसे भी! कम से कम कोशिश करके खाओ, पता चलेगा आगे से क्या नहीं करना है!
ऑल द बेस्ट!
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