2) ग़लती मान भी लो
आधा समय तो तुम्हारी ग़लती होगी भाई तो मान लो! बाकी आधा वक़्त बेबात पर तुम पर जूते-चप्पलों का प्रहार होगा| तब भी मान लो ना, बड़े-बुज़ुर्ग कह गए हैं ग़लती मानने से इंसान छोटा नहीं हो जाता! और फिर गर्लफ़्रेंड के सामने ही तो ग़लती माननी है, वो तो अपनी है, कोई बात नहीं! शांति की कामना करते हो तो यह करना ही पड़ेगा!