वैसे तो आपको अपने ख़ास दोस्तो और पारिवारिक सदस्यों से मिलने-जुलने और बात करने में कोई परेशानी नहीं होती होगी लेकिन बात जब पब्लिक स्पीकिंग यानि सार्वजनिक स्थानों पर बोलने की हो, तो कहीं आप इससे डरते तो नहीं है.
कहीं आप ग्लोसोफ़ोबिया के शिकार तो नहीं हो गए है आप अगर ऐसा है तो घबराने की जरुरत नहीं हैं. हम आपको बताएंगे जुबां पर लगे ताले को खोलने के उपाय
क्या है ग्लोसोफ़ोबिया :–
ये ग्लोसोफ़ोबिया एक तरह का फ़ोबिया या डर है, जिसमें इसांन भीड़-भाड़ या फिर मंच पर बोलने से घबराता है. यूनानी यानि ग्रीक भाषा में जीभ को “ग्लोसा” कहते हैं, बिना जीभ के हम बोलने की कल्पना भी नहीं कर सकते है. शायद यही वजह है कि इसलिए इसे ग्लोसोफ़ोबिया कहते हैं.
क्या है ग्लोसोफ़ोबियां के लक्षण :-
1. बोलते वक्त पसीना आना
2. शरीर में कपकपाहट होना
3. दिल की धड़कनों का बहुत तेज होना
4. मुंह सुखना
5. आवाज का धीमा होना
6. भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर जाने से कतराना
कॉमन है ग्लोसोफ़ोबियां :–
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि ये फ़ोबिया लगभग 75 फीसीदी लोगों में पाया जाता हैं.
कौन-कौन आता है चपेट में :-
1. यूं तो कैमरा फ़ेस करना एक्टर और एक्ट्रेस के लिए कोई नई बात नहीं है .लेकिन कभी-कभी उन्हें भी पब्लिक स्पीकिंग में घबराट होती है.कुछ सिंगर्स को भी शो या कॉन्सर्ट करते वक्त ऐसी स्थिती का सामना करना पड़ता है.
2. कार्पोरेट सेक्टर में काम करने वाले लोग भी बिजनेस प्रेजेंटेशन देने में आत्मविश्वास की कमी महसूस करते है.
3. कभी-कभी एयरहोस्टेस भी अनाउंसमेंट करते वक्त काफी नर्वस हो जाती है.
4. जो लोग अपने शर्मिले नेचर की वजह से पब्लिक फंक्शन्स को अवाईड करते हैं.
क्यों होता है ग्लोसोफ़ोबिया–
ऐसा नहीं कि इंसान जानबूझकर अपनी भावनाएं छिपाना चाहता हैं. इसके पीछे कई कारण है.
1. बचपन या फिर जवानी में हुआ कुछ बुरा अनुभव
2. आत्मविश्वास की कमी होना
3. असफल होने का डर
मशहूर हस्तियां जो ग्लोसोफ़ोबिया की शिकार रही है-
1. एक्ट्रेस निकोल किडमेन
2. मशहूर गोल्फ़र टाईगर वुड्स
3. एक्ट्रेस जुलिया राबर्टस
4. ब्रिटेन के प्रिंस हैनरी
क्या है बचने के उपाय–
1.आत्मविश्वास को बढ़ाने का प्रयास किया जाना चाहिए. आईने के सामने खड़े होकर बोलने की प्रेक्टिस करना चाहिए. जैसे एक्ज़ाम देते वक्त पहले से कई बार किसी टॉपिक को पढ़ा जाता है , वैसे ही कोई स्पीच या प्रेजेंटेशन देने से पहले कुछ तैयारी पहले से ही कर लेनी चाहिए.
2.अगर आप खुद इस पर कन्ट्रोल नहीं कर पा रहे हैं. तो कुछ थेरेपीज़ की मदद ली जा सकती है.हिप्नोसिस,मेडिटेशन,काउंसलर की मदद लेना.
अमेरिकन कॉमेडियन और एक्टर जेरी स्नेइफ़ेल्द ने इस पर चुटिकया लेते हुए कहा हैं “अधिकतर स्टडीज़ के मुताबिक, लोंगो का नबंर वन डर पब्लिक स्पीकिंग है. दूसरे नंबर का भय मृत्यु है. क्या ये वाकई में सही है? ये एक सामान्य व्यक्ति के लिए काफी मायने रखता है, अगर आप किसी के अंतिम संस्कार में जाए तो प्रार्थना करने के बजाए अगर आप किसी बॉक्स में बंद रहे तो बेहतर होगा.”
तो देखा आपने कि लोगों के लिए पब्लिक स्पिकिंग मौत से भी डर बन गया है.
बेहतर होगा कि इस डर से भागने के बजाए इसे दूर करने के उपाय किए जाने चाहिए.
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