सुसाइड करना यानि कि अपनी ज़िन्दगी अपने हाथों से ख़त्म करना एक बहुत ही दर्दनाक ख़याल है जो किसी को भी, कभी भी आ सकता है!
हम सब रोज़मर्रा की ज़िन्दगी की हज़ारों मुश्किलों से लड़ते हैं और हम में से कुछ जल्दी थक जाते हैं|
थकान और दर्द की वजह से ही सुसाइड के ख़याल पनपते हैं लेकिन ख़याल आना और उन्हें अंजाम देने में बहुत फ़र्क है! यह आपके हाथ में है कि आप इन ख्यालों से कैसे लड़ें और उन्हें दूर भगाएँ!
एक कोशिश है ये बताने की कि ऐसे ख़याल आएँ तो क्या करना चाहिए! सुसाइडल टेण्डेंसीज़ को कैसे दूर करना चाहिए!
1) सबसे पहले तो ऐसे ख़याल आते ही कहें कि ठीक है सुसाइड कर लूँगा लेकिन 48 घंटे के बाद! सुनने में मज़ाक लग रहा होगा लेकिन इसके पीछे की साइंस ये है कि आप कितने भी डिप्रेस्ड हों, ख़ुद की जान लेने के विचार कुछ ही पलों के लिए आते हैं और अगर आपने उन पलों को टाल दिया तो फिर सब ठीक है! हर दिन कुछ नया लेकर आता है और एक बार आप सुसाइड करने की मजबूरी को दबा गए तो दुबारा ऐसे ख़याल आने मुश्किल होंगे!