सन 1947 में देश आजाद हुआ और आज 2016 आ चुका है.
लेकिन अभी तक सस्ता अनाज और खाना एक गरीब को नसीब नहीं हो पा रही है. कोर्ट कहता है कि कोई भी व्यक्ति अब देश में भूख से नहीं मरना चाहिए. लेकिन हकीकत बात यह है कि आज भी देश में भूख के कारण मौतें हो रही हैं.
जब यंगिस्थान ने इस बात की जांच पड़ताल की तो पाया कि कमी योजना के अभाव की नहीं हैं क्योकि हर राज्य सरकार ने योजनायें तो बना रखीं हैं लेकिन उनका वह योजनायें बस कागज में बंद हैं.
तो फिर इस समस्या का हल कैसे हो सकता है? आइये पढ़ते हैं कि कैसे देश से रोटी की समस्या खत्म हो सकती है-
सबसे पहले जानों अर्थव्यवस्था
विश्व में दो प्रकार की अर्थव्यवस्था चल रही हैं. पहली अर्थव्यवस्था मशीनी है. जिसमें उद्योगों पर जोर दिया जाता है. बड़ी-बड़ी बिल्डिंग व्यवस्था बनाई जाती है. देश का युवा जहाँ रोजगार नहीं नौकरी करता है. बड़े स्तर पर इसमें काल सेंटर जॉब्स होती हैं. इसको आप पूंजीवाद या समाजवाद भी बोल सकते हैं. इसमें अमीर और अमीर हो जाता है जबकि गरीब सब कुछ करता है फिर भी धन से परेशान रहता है.
दूसरी अर्थव्यवस्था अंग्रेजों से पहले की भारतीय अर्थव्यवस्था है. यह अब भारत में नहीं दिखती है किन्तु जापान में कहीं-कहीं जरूर नजर आती है. इसमें गाँव एक स्वतंत्र इकाई होती है. यहाँ से अर्थव्यवस्था शुरू होती है. यह गो-रक्षा, भू-रक्षा, वन-रक्षा और जल-रक्षा पर आधारित होती है. इसके अन्दर छोटे-लघु उद्योगों को बल दिया जाता है. हर व्यक्ति अपना छोटा काम कर रहा होता है. जैसे कि एक गाडी बननी है तो इसके सभी पार्टी अलग-अलग बनवाये जाते हैं. कोई ब्रेअक्स बनाता है तो कोई इसकी बॉडी, अंत में सभी पार्ट्स एक जगह आकर मिलते हैं और गाड़ी बनाई जाती है. इससे सभी को रोजगार मिल जाता है.
अंग्रेज आये और इसी अर्थव्यवस्था को तबाह कर गये. उसके बाद भारतीय नेताओं ने भारत को रूस बनाने की सोची और उसके बाद अमेरिका बनाना चाहा लेकिन भारत को भारत किसी ने नहीं बनाया.
किसान ने जबसे फर्टिलाइजर उपयोग किये
जबसे भारतीय किसान ने खेत में फर्टिलाइजर उपयोग किये हैं पैदावार कम ही हुई है. टेक्टर से हो रही जुताई में दुगना खर्च हो जाता है. बैल से जुताई हो तो कुछ भी नहीं आता है. फसल में रसायन का प्रयोग खूब हो रहा है. इसके बाद देश में सबसे बड़ी भुखमरी तन शुरू हुई जब विदेशी कंपनियां देश में आई और किसानों से उनकी मर्जी की फसल उगाने को बोला.
जैसे कि कंपनी ने बोला कि आप प्याज उगाओ. हम इस दाम में खरीदेंगे. किसान ने प्याज उगाई और अंत में कम्पनी प्याज खरीदने आई ही नहीं. प्याज इतनी ज्यादा हो गयी कि अन्य चीजों की कमी हो गयी. सरकार ने अन्य चीजें विदेश से खरीदीं. किसान की प्याज खराब हो गयी. सरकार ने निर्यात की कोई योजना नहीं बनाई. किसान बर्बाद, आत्महत्या, भूखमरी.
जनता को ऐसे मिल सकता है सस्ता अनाज
बड़े घरानों को मिल रहा लाभ या दिया जा रहा लाभ खत्म हो. बड़े घराने अनाज का व्यापार खत्म करें. अनाज सरकार के हाथों में हो. राशन स्कीम खत्म करे, वहां का अनाज ब्लैक हो रहा है. सम्पूर्ण गो-वंश हत्या पर रोक लगे. सरकार रोटी बैंक जैसा कुछ शुरू करे, जहाँ सरकार देश में उगाये अन्न को 5 रुपैय किलो में बेचे. जब तक देश में अन्न की कमी है तब तक बाहर से अनाज आये.
देश में जैसे बड़े-बड़े आश्रम लोगों को फ्री रोटी खिला रहे हैं उसी तरह से सरकार सभी को रोटिया खिलाएंगा. राज्य सरकार का मुख्यमंत्री तब तक रोटी का टुकड़ा न तोड़े जब तक गरीबों को रोटी मिलनी ना शुरू हो जाए.
नदियों को जल्द से जल्द सही किया जाए. किसान को सरकार फ्री पैसा देकर किसानी करने में मदद करे. किसान रासायनिक खेती न करे, देखा जाये.
हर व्यक्ति जिसके पास दो वक़्त की रोटी हैं वह गरीबों के लिए कुछ समय तक रोटी बनाये और अपने पास के गरीबों को खिलाए.
सस्ता अनाज तभी जनता को मिल सकता है जब सरकार युद्ध स्तर पर कम करना शुरू करें. कागज की बातों से कुछ होने वाला नहीं है. विकास दर के आंकड़े पेश ना किये जाए. सब्सिडी पर विचार हो. गरीबी भत्ता शुरू किया जाये. लघु उद्योग जल्द से जल्द लगाये जाएँ.
अगर सरकार पहले अपने स्तर पर काम शुरू करती है और तब बड़ी-बड़ी योजनाओं को साथ ही साथ चलाती रहती है तब जाकर हर व्यक्ति को रोटी मिल पाएगी. लेकिन देश के कुछ अमीर परिवार सरकार की प्राथमिकताओं में ना रहे.
हर हाथ को रोजगार और रोटी का इंतजाम जल्द से जल्द करना होगा.
हर सांसद को अपनी आय के एक हिस्से से अपने चुनावी क्षेत्र में गरीबों के लिए रोटी का इंतजाम कर दिया जाए तब मात्र 6 माह में परिणाम नजर आने लगेंगे.
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