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जब युवावस्था के हॉर्मोन्स ठांठे मारने लगे तो कुछ यूँ करें कंट्रोल!

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5) बातचीत

अकेले मत लड़ो यार, इस उम्र में ऐसी बहुत सी नयी बातें होती हैं जिनका जवाब नहीं मिल पाता और फिर फ़्रस्ट्रेशन हो जाती है| ऐसा होने का मतलब है सीधा आपके शरीर और दिमाग़ पर उल्टा असर! बेहतर है अपने माँ-बाप को दोस्त बना लो या ऐसे दोस्त बनाओ जिनके साथ दिल का हाल बाँट लो! चाहे वर्जिश करते वक़्त या यूँही हैंग आउट करते हुए एक दुसरे की मुश्किलों के बारे में जानो और हल ढूँढो! बस, हर बात दिल में मत रखो!

baatcheet

बचपन से जवानी के दिन बदलाव के होते हैं और कई बदलाव ऐसे हैं जो आपको समझ नहीं आते| कोशिश यही करो कि एक अच्छा सेहतमंद जीवन जियो और इस दौर के मज़े उठाओ! ज़िन्दगी में एक ही बार यह कमाल का वक़्त आता है जब सब कुछ नया, सब कुछ हसीं होता है!

जी भर के जियो!

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