कामयाब होने के लिए – अपने काम और निजी जिंदगी में संतुलन बैठा पाना आसान नहीं है तो इतना मुश्किल भी नहीं कि कोशिश भी न की जाए.
ये रोज़ की चुनौती है. कई बार लोग कहते हैं कि जब समय अधिक होगा या फिर तब जब सारे कार्य पूरे हो जाएंगे तो अपनी सारी इच्छाओं की पूर्ति की जाएगी. हम खुदसे तरह-तरह के वादे करते हैं कि समय आने पर हम शानदार सुख-सुविधाएं हासिल करेंगे व अच्छा भोजन करेंगे. बहरहाल सभी जानते हैं कि समय को वर्तमान में जीने से अच्छा और कुछ भी नहीं. वैसे भी अगर आज नहीं जी भरकर जिया तो फिर कब जी पाएंगे? जोखिम लेने का भी मामला कुछ ऐसा ही है.
हमें जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए कामयाब होने के लिए आज ही जोखिम लेना चाहिए.
विभिन्न प्रकार के व्यक्तियों की विभिन्न आकांशाएं होती हैं जैसे कुछ कहते हैं कि अभी तो समय नहीं लेकिन जब समय होगा तो एक्सरसाइज की जाएगी. तब अच्छा शरीर बनाएंगे. ऐसे लोग भूल जाते हैं कि समय तो आज से ही निकाला जा सकता है फिर भले पांच या दस मिनट ही क्यों न हो. व्यक्ति को अपने परिवार एवं दोस्तों के लिए भी समय निकालना चाहिए. ऐसे में जब व्यक्ति बेहतर महसूस करेगा तो वो अपने आसपास के लोगों के लिए भी सकारात्मक ऊर्जा का ज़रिया बनेगा.
सोच-विचार कर जोखिम लेने से कई रास्ते खुल जाते हैं. हमें कोशिश करनी चाहिए कि हर सात दिन में हम कुछ ऐसा करें जो हमें असुविधाजनक लगे या यूँ कहें कि हमें ये जोखिम लगे. जिस कार्य को करने में डर लगे उसे पहले करना चाहिए. हमेशा याद रखना चाहिए कि डर के उस पार तरक्की है.
महान टीम उन विश्वसनीय लीडर्स से बनती है जो सच बोलने में एवं जोखिम लेने से घबराते नहीं और कामयाब होने के लिए ये जरूरी है.
हमें ये ख्याल रखना चाहिए कि अपने आसपास मौजूद लोगों के प्रति हम विनम्रता दिखाएं.
वहीं, इसका ये मतलब कतई नहीं कि जब ज़रूरत हो तो कठोर कदम भी न उठाए जाएं. ध्यान रखने वाली बात है कि लीडर्स भीड़ के पीछे नहीं चलते बल्कि वे तो जीवन को अपनी शर्तों पर जीते हैं. वे उन मूल्यों पे चलना पसंद करते हैं जो सच का रास्ता दिखाएं. रचनात्मक, आदर्शवादी होने एवं जोखिम लेने से कई सारी चीज़ें आसान हो जाती हैं.
अपनी साख बनाने में कई साल लग जाते हैं पर सिर्फ एक सेकंड में अपनी सारी साख गंवाई जा सकती है. कुछ चीज़ें प्रतिष्ठा की तरह ही महत्वपूर्ण होती हैं. कई लोग शॉर्ट टर्म थिंकिंग वाले होते हैं जो सबकुछ हासिल करने के फेर में गलत रास्ता चुनने से भी नहीं गुरेज़ करते. अपनी साख बढ़ाने के लिए कम देने का वादा करके ज़्यादा दे देना, शुरू किए गए कार्य को पूरा करना, अच्छा श्रोता बनकर व अपने जानने वालों को बेहिसाब महत्व देकर उनका विश्वास एवं सम्मान जीता जा सकता है.
कड़ी मेहनत करने पर जो उससे एनर्जी मिलती है वो हल्के-फुल्के कार्यों को पूरा करने से नहीं मिलती. जो भी शॉर्टकट के बजाए लॉन्ग रन में यकीन करते हैं उन सबकी यही राए रहती है. कभी-कभी शॉर्टकट से जल्दी मंज़िल मिल भी जाती है पर अपनी मेहनत से बनती हुई इमारत को देखने का अपना ही आनंद होता है जो बनी-बनाई बिल्डिंग में कहां. आज की इस दुनिया में जहाँ मूल्यों में इतनी गिरावट आ गई है वहां इमानदारी का अब भी बोलबाला है. इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता कि खुदके प्रति इमानदार रहने से अपनी साख कितनी ऊंचाई तक पहुंच सकती है.
ऐसा करने पर व्यक्ति नई चीज़ों को जल्दी सीखेगा एवं प्रयोगशील बना रहेगा.
कामयाब होने के लिए फिर वो अपने कार्य को भी खूब मन लगाकर करेगा. जिससे उसके अंदर कुछ नया करने का जोश पैदा होगा. ये बात भी कितनी सच है कि कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं हो सकता.
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