Categories: विशेष

पेट्रोल-डीज़ल के दाम का गणित जानते हैं आप?

“सखी सैय्या तो खूब ही कमात हैं, मंहगाई डायन खाए जात हैं”

यह गाना तो आप सब ने सुना ही होगा.

आज की महंगाई पर वार करता हुआ यह गाना बहुत प्रसिद्ध हैं. सरकारें बदल गयी पर महंगाई में कोई कमी नहीं आई. रोज़ की ज़रूरतों के समान हर दिन महंगे होते हैं लेकिन लोगों को किसी चीज़ ने सबसे ज्यादा परेशान किया हैं, तो वह पेट्रोल और डीज़ल के दाम हैं. पुरे भारत में अगर पेट्रोल-डीज़ल के दाम का औसत मूल्य देखें तो लगभग 65 रूपए प्रति लीटर पेट्रोल हैं और 51 रूपए प्रति लीटर डीज़ल चल रहा हैं.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि पेट्रोल-डीज़ल के दाम कैसे तय होते हैं?

पेट्रोल-डीज़ल के दाम क्रूड पर निर्भर करते हैं.आप सब ने क्रूड तो सुना ही होगा जिसे कच्चा तेल भी कहते हैं.

जब अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में क्रूड के दाम बढ़ते हैं तो पेट्रोल-डीज़ल के दाम भी बढ़ते हैं और जब क्रूड के दाम कम होते हैं तो इनके दाम भी कम हो जाते हैं. लेकिन अभी पिछले कुछ दिन पहले क्रूड के दाम कम हुए फिर पेट्रोल-डीज़ल के दाम कम क्यों नहीं हुए?

इंडिया में हर दिन करीब 37 लाख बैरल क्रूड का उपभोग होता हैं, जिसका 80% हिस्सा तो हम बाहर से आयात करते हैं. अगर इस बीच डॉलर की कीमत कम-ज्यादा हो जाये तो इसका सीधा असर पेट्रोल-डीज़ल की कीमत पर पड़ता हैं. यदि रूपए डॉलर की तुलना में कम हुआ तो क्रूड का आयात महंगा होता हैं इसी वजह से पेट्रोल-डीज़ल के दाम भी बढ़ जाते हैं और यदि रूपए मजबूत हुआ तो आयात सस्ता पड़ने लगता हैं तो पेट्रोल-डीज़ल भी सस्ते हो जाते हैं.

अभी अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भले ही क्रूड सस्ता हो गया हैं लेकिन डॉलर के मुकाबले रूपया कमज़ोर होने के चलते पेट्रोल-डीज़ल अभी क्रूड के दाम की तुलना में महंगा हैं और आम आदमी इसका खामियाज़ा भुगत रहा हैं.

वैसे तो पेट्रोल-डीज़ल के दाम तेल कंपनियां ही तय करती हैं लेकिन वह इस दाम में क्रूड की कीमत, रिफानरी की लागत, इसे पेट्रोल पंप तक पहुचाने का व्यय जैसे सभी खर्चे जोड़ती हैं. इन खर्चों के अलावा इसमें लगने वाले वैट, कमीशन और एक्साईज़ ड्यूटी भी जोड़ कर लोगो तक पहुचाती हैं. तेल कंपनिया यूँ तो हर 15 दिन में मुद्रा के मूल्य और क्रूड की कीमत के आधार पर डीज़ल-पेट्रोल की कीमत तय करती हैं पर यह सारी कंपनिया घाटे का रोना रोकर ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने का सोचती हैं.

इस सारे खेल में सरकार का भी पूरा हाथ होता हैं. सरकार इन कंपनियों से तगड़ा टैक्स भी वसूलती हैं और सबसीडी देने का ढोंग कर के फ्री होल्ड देती हैं.

इस छलावे से आम आदमी यह समझ ही नहीं पाता कि पेट्रोल-डीज़ल के दाम कम क्यों नहीं होते हैं. सरकार कस्टम, आबकारी, विक्रय और वैट जैसे कर लगा कर तेल कंपनी को घाटे से उभरने ही नहीं देती और सरकार इन सारे टैक्स को लगा कर 50% तो अपनी जेब में डालती हैं और इस नुकसान की भरपाई तेल कंपनिया दाम बढ़ा कर करती हैं.

खैर इन सारी सच्चाई का महत्व तभी हैं जब सरकार और तेल कंपनिया अपने साथ-साथ लोगों का भी ध्यान रखे ताकि महंगाई की मार उन पर ज़रा कम हो सके.

Sagar Shri Gupta

Share
Published by
Sagar Shri Gupta

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago