आतंकी की कमाई – इस वक्त में भारत ही नहीं दुनियाभर के लिए आंतकवाद एक बड़़ी समस्या बनता जा रहा है ।
जिसे लेकर कई देश अपना रुख साफ भी कर चुकें हैं । लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान इतनी सारी चेतावनियों के बाद भी आतंकवाद पर न तो अपना रुख साफ करता नजर आया और ऩ ही उसने अपने देश में आतंकवाद को पनाह देने पर कोई रोक लगाई । यूएन में भारत ने कई बार पाकिस्तान को आंतकवाद को पनाह देने के लिए जिम्मेदार ठहरा चुका है ।
लेकिन इन सब के बावजूद आंतकवाद पर कोई रोक लगती नजर नहीं आई है ।
सबसे अफसोस की बात ये है कि आतंकवादी हाफिज सईद को भी पाकिस्तान की इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने अपनी पार्टी के पंजीकरण का आदेश दे दिया है । इसके अलावा पाकिस्तान में कोई और आतंकवादी संगठनों के सरगना अपने पैर जमाए बैठे हैं। अमेरिका भी पाकिस्तान के इस रैवेये कारण उसे कई बार खरी खटो सुना चुका है । पाकिस्तान के रुख में बदलाव देखने को नहीं मिला । वही अंतराष्ट्रीय संस्था फाइंनेशियल एक्शन टास्क फार्स ने पाकिस्तान के आंतकी पूंजी को निगरानी सूची में डालने का फैसला लिया था।
ये फैसला अंतराष्ट्रीय संस्था की तरफ से इसलिए लिया गया था ताकि इस बहाने पाकिस्तान की सुस्त सरकार अपने यहां सक्रिय संगठनों पर कार्रवाई करेंगी । क्योंकि निगरानी सूची में रखे जाने से पाकिस्तान को अतंराष्ट्रीय बाजार में काफी घाटा उठाना पड़ेगा वहीं उसके विदेशी निवेश में भी कमी आएगी । हालाकिं पाकिस्तान सरकार पर इसका असर होता नजर नहीं आ रहा है ।
वहीं अगर बात करें पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों की तो ।
इन संगठनों के पास अपने लिए पैसे कमाने के कई स्रोत है जिनसे ये आतंकवादी करोड़ो कमाते हैं। आपको बता दें इस वक्त आफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय संगठनों में अफगान तालिबान, भारत विरोधी लश्कर ए तैयबा, पाकिस्तान विरोध तहरीक ए तालिबान और जैश ए मोहम्मद है ।
आतंकी की कमाई – खबरों के अनुसार आमतौर पर पैसा इकट्ठा करने के लिए अपहरण कर वसूली करते हैं । लेकिन रिपोर्टस की माने तो आज के वक्त कई आतंकी संगठन आधुनिक व्यवसायों में निवेश करने लगे है । और आतंकी संगठनों ने अपनी फर्जी कंपनियां बनाकर परिवहन, निर्माण और अचल संपत्ति में भी निवेश कर रखा है जिसे उनकी अच्छी खासी कमाई होती है । और वो इस कमाई को हथियार बनाने और अपनी अयाशियों में उड़ाने के लिए खर्च करते हैं । और खुलेआम आतंकवादियों के निवेश करने के बाद भी पाकिस्तान सरकार इन आतंकवादियों को पकड़ने में नाकाम है ।
इन रिपोर्टस के आतंकी संगठनों का पाकिस्तान और उसके बाहर अचल और निर्माण संपत्ति में अच्छा खासा निवेश है ।
यही नहीं अफगान और तालिबान में आतंकवादियों के परविहन क्षेत्र में भी निवेश है । इसके अलावा कई आतंकवादियों का कारोबार दुबई अबूधाबी जैसे अरब के बड़े देशों में भी फैला है । इसके अलावा माना जाता है कि आतंकवादियों की आय एक बड़ा स्त्रोत अफीम की खेती है । जिसमें लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। और यहां तैनात नाटो सेना ने भी इतने सालों में इस खेती को रोकने के लिए कोई कड़े कदम नहीं उठाए । अफीम खेती को न रोकने की एक बड़ी वजह ये भी है कि इसका एक बड़ा हिस्सा तालिबान कमांडरो को जाता है ।
ये है आतंकी की कमाई – वहीं अफीम के कारोबार का बड़ा हिस्सा आफगान के बड़े ताकतवर शख्सियतों को भी जाता है । जिस वजह से सब अपने आप में चुपी बनाए हुए है । और देखा जाए तो आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए केवल पाकिस्तानी सरकार और एंजेसिंयो को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता । क्योंकि पाकिस्तान के आगे आंतकवाद की बात करना दीवार में सिर पीटने जैसा है ।जिस वजह से पश्चिमी देशों की लापरवाही भी इसका एक मुख्य कारण माना जा सकता है ।
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