पाकिस्तान क्या कभी भारत का दोस्त बन सकता है?
या कहें कि क्या कभी पाकिस्तान पर विश्वास किया जा सकता है?
यह दोनों ही बातें असंभव लगती हैं. लेकिन फिर भी भारत अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ता है.
आज हम आपको बताने वाले हैं कि कैसे पाकिस्तान वहां के मासूम बच्चों के दिल-दिमाग में भारत के लिए जहर भर रहा है. वह भारत को आतंकवादियों का देश बताता है. छोटे-बच्चे पढ़ते हैं कि भारत ने पाकिस्तान के टुकड़े किये हैं. वहां के मुल्क को बांटा है. जी हाँ यह बात हम हवा में नहीं बोल रहे हैं. कक्षा पांच के बच्चे अपनी इतिहास की पुस्तक में यही पढ़ रहे हैं.
अब अगर भारत भी अपने यहाँ के बच्चों को पढ़ाने लगे कि बंटवारे के लिए जिन्ना का रोल क्या था और मुस्लिम लीग क्या चाहती थी तो हो सकता है कि फिर कभी भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में मधुरता नहीं आ पायेगी.
आइये पहले पढ़ते हैं कि पाकिस्तान में स्कूल की इतिहास की पुस्तकें क्या कहती हैं-
क्लास पांच की इतिहास पुस्तकों में लिखा गया है कि भारत ने पूर्वी पाकिस्तान में अपने गुर्गों द्वारा पहले वहां खूब दंगे करवाये थे. इसके बाद भारत ने चरों ओर से पूर्वी पाकिस्तान पर हमला किया था. यही एक वजह थी पाकिस्तान को भारत से एक युद्ध लड़ना पड़ा था. यह युद्ध दो सप्ताह चला था. बाद में अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तान का बंटवारा हो गया. तब बांग्लादेश का निर्माण हुआ था.
वहीँ क्लास छह की पुस्तक कहती है कि हिन्दुओं ने मिलकर अपना एक अलग राजनैतिक दल का निर्माण किया जिसका नाम था ‘ इंडियन नेशनल कांग्रेस’ बाद में यही बंटवारे की वजह बनी थी.
सबसे बड़ा मजाक जो पाकिस्तान अपने बच्चों को पढ़ा रहा है वह यह है कि हिन्दू और सिखों ने निहत्थे मुसलमानों को विभाजन के समय मारा था. जबकि यह सब जानते हैं कि उस वक़्त सबसे पहले हिंसा कहाँ हुई थी और वहां के मुस्लिम इतने शरीफ नहीं थे कि वह आराम से निहत्थे मर जाते.
अब आगे क्लास सातवी की पुस्तक कहती है कि 1857 की क्रांति मुस्लिम लोगों ने जिहाद के रूप में लड़ी थी बाद में सभी ने उसमें हिस्सा लिया था.
झूठा इतिहास क्यों पढ़ा रहा है पाकिस्तान
यहाँ यह समझना बहुत मुश्किल है कि पाक अपने बच्चों को झूठा इतिहास क्यों पढ़ा रहा है? क्या वह अपने बच्चों की तरक्की को रोक रहा है?
आज भी यहाँ स्कूलों में ऐसा इतिहास पढ़कर बच्चे भारत के प्रति नफरत ही पाल रहे हैं. बाद में इन्हीं बच्चों को मदरसों में ट्रेनिंग देकर आतंकवादी बना दिया जाता है.
पाकिस्तान के इस झूठे इतिहास की कहानी को सबके सामने लाना बहुत जरुरी हो गया है. अब शायद वक़्त आ चुका है जब पाक से कोई पूछे कि यह इतिहास किसने लिखा है और इसके सत्य होने के कितने प्रतिशत चांस उन लोगों को लग रहे हैं.
अब इस इतिहास को पढ़कर बच्चे निश्चित रूप से आतंकवादी ही बनेंगे जो बाद में जिहाद का भी गलत अर्थ ही पढ़ते और समझते हैं.