1975 में बनी हिंदी भाषी फिल्म शोले का नाम उन फिल्मो की लिस्ट में शामिल है जो अमर हो चुकी है.
फिल्म शोले ने बॉक्स ऑफिस में इतनी दौलत बरसाई कि आज भी निर्माता रमेश सिप्पी पेंशन की तरह पैसे बटोर रहे है. ये फिल्म इतनी चर्चित हुई कि गली गली में इसके डायलोग आज भी गूं’जते है. इस फिल्म के किरदारों के नाम इतने चर्चित हुए कि दो दोस्तों के जोड़ी को जय-वीरु के नाम से बुलाया जाने लगा और बक बक करने वाली लड़कियों को बसंती कहा जाने लगा.
वैसे तो पेज खत्म हो जाएंगे इस फिल्म की बातें लिखते लिखते, लेकिन आज हम आपको इस लेख के द्वारा बाताएंगे कि आखिर कैसे फिल्म शोले के किरदार का चयन रमेश सिप्पी ने किया और उन्हें कितनी मुश्किलों का सामना करना पडा.
शोले के किरदार की कहानी –
1 . ठाकुर साहब
फिल्म शोले का सबसे महत्वपूर्ण किरदार ठाकुर साहब का था, क्योकिं इस फिल्म की कहानी इन्ही की वजह से शुरू होती है. ठाकुर साहब का किरदार सबसे ज्यादा मुश्किल किरदार था. चुकिं, ठाकुर साहब के हाथ नहीं है फिल्म में, इसलिए इस रोल के लिए कोई तैयार ही नहीं हो रहा था. उस वक्त रमेश सिप्पी के कहने पर ठाकुर का रोल निभाने के लिए संजीव कुमार तैयार हुए. संजीव कुमार को ये पता था कि अगर फिल्म नहीं चली तो उनके फिल्म करियर पर गहरा झटका लग सकता है. ऐसे में हम कह सकते है कि रमेश सिप्पी ने शोले के लिए सबसे पहले संजीव कुमार को साइन किया.
2 . वीरू
इस किरदार के लिए रमेश सिप्पी ने अपनी पहली पसंद अभिनेता धर्मेन्द्र को साइन किया. उस वक्त धर्मेन्द्र की एक के बाद एक कई फिल्मे सुपरहिट जा रही थी. इतना ही नहीं बाकी किरदारों के चयन के लिए रमेश सिप्पी ने धर्मेन्द्र की बहोत सहायता ली.
3 . जय
जय के रोल के लिए सिप्पी साहब ने अभिनेता शत्रुहन सिन्हा को लिया था, लेकिन धर्मेन्द्र की चालाकी ने शत्रुहन सिन्हा को शोले फिल्म से बाहर निकलवा दिया. धर्मेन्द्र को डर था कि कही शत्रुहन सिन्हा इस फिल्म में उनसे ज्यादा सुर्खिया ना बटोर ले. 1975 के दशक में शत्रुहन सिन्हा भी काफी चर्चित अभिनेता की दौड़ में थे. अभिनेता धर्मेन्द्र ने एक इंटरव्यू में बताया था कि ‘हाईट और बॉडी में मै और शत्रुहन एक जैसे ही दीखते थे, फिल्म में घोड़े का सीन भी बहोत था. ऐसे में अगर हम दोनों घोड़ो पर बैठ शूट करते तो दर्शको पता नहीं चल पाता कि धर्मेन्द्र कौन है और शत्रुहन कौन है’ इसलिए इस रोल के लिए लम्बी हाईट वाले यंगमैंन अमिताभ बच्चन को लिया गया.
शत्रुहन सिन्हा को हटाना और अमिताभ बच्चन को लाना, धर्मेन्द्र की राजनीती थी. अभिनेता धर्मेन्द्र ने ही रातो रात रमेश सिप्पी से अमिताभ बच्चन को एक पार्टी के दौरान मिलवाया था. उस वक्त अभिनेता अमिताभ बच्चन को ज्यादा लोग नहीं जानते थे.
4 . बसंती
ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी और अभिनेता धर्मेन्द्र के प्यार किस्से इतने जोरो पर थे कि उनकी जोड़ी लोगो को भाने लगी थी. ये जोड़ी जिस फिल्म में एक साथ होती वो फिल्म कामयाब होनी पक्की थी. निर्माता रमेश सिप्पी ने इस बात का फायदा उठाते हुए बसंती के रोल के लिए हेमा मालिनी को चुना. इस फैसले में धर्मेन्द्र का बहोत बड़ा हाथ था.
5 . गब्बर
गब्बर सिंह का किरदार पहले अभिनेता डैनी को ऑफर किया गया था, लेकिन समय ना होने के वजह से अभिनेता डैनी ने गब्बर का किरदार निभाने से मना कर दिया. गब्बर ही एक ऐसा किरदार था, जिसे रमेश सिप्पी को ढूंढने में बहोत मुश्किल हो रही थी. अंत में जब कोई नहीं मिला तो अभिनेता संजीव कुमार ने गब्बर का रोल करने की इच्छा जाहिर की.
सवाल ये था कि, अगर गब्बर सिंह का किरदार संजीव कुमार निभाते है तो ठाकुर कौन बनेगा ? रमेश सिप्पी की इस बड़ी समस्या को संजीव कुमार ने ही निपटा दिया. अभिनेता संजीव कुमार ने अभिनेता अमज़द खान को रमेश सिप्पी से मिलवाया.
मज़े की बात ये है कि रमेश सिप्पी को अमज़द खान, गब्बर सिंह के रोल के लिए भा नहीं रहे थे.
ऐसे में एक दीन अचानक विलन के गेटअप में अमज़द खान, रमेश सिप्पी के दफ्तर जा पहुचे और उन्हें नकली बन्दुक की नोक पर बहोत डराया. उस वक्त संजीव कुमार भी रमेश सिप्पी के साथ ही उनके दफ्तर में मौजूद थे. कुछ देर बाद अभिनेता संजीव कुमार हसने लगे और रमेश सिप्पी से अमजद खान को दोबारा परिचय कराया. रमेश सिप्पी ने पाया कि अमज़द खान के विलन वाले गेटअप से जब वे खुद डर गए तो भला दर्शक क्यों नहीं गब्बर को पसंद करेंगे! और तब कही जाकर गब्बर सिंह का चुनाव हुआ.
तो इस तरह से शोले के किरदार ढूंढें गए. वैसे तो फिल्म शोले के सभी किरदार अपने आप में ही प्रसिद्द है. लेकिन रमेश सिप्पी को इन महत्वपूर्ण किरदारों को ढूंढने में काफी मशक्कत करनी पडी थी.
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