हमारे शरीर की सुरक्षा में इस्तमाल की जाने वाली सारी चीजे किसी ना किसी वजह से हमें मिली है.
इस धरती पर जब इंसान का जन्म हुआ, तब उसने अपनी जरुरतो के अनुसार चीजे ढूंढी और इस्तमाल करना शुरू कर दिया.
फिर चाहे वो कपडे हो, हथियार हो, भोजन हो या कुछ और…. इन चीजो के प्राप्ति को लेकर अपनी-अपनी कहानी है.
एक ऐसी ही कहानी आज हम लिख रहे है, जिसे पढ़कर आप जान सकेंगे कि… हमने जूतों की खोज कैसे की…
एक बार की बात है एक राजा था.
उसका एक बड़ा-सा राज्य था. एक दिन उसे देश घूमने का विचार आया और उसने देश भ्रमण की योजना बनाई और घूमने निकल पड़ा.
जब वह यात्रा से लौट कर अपने महल आया तो उसने अपने मंत्रियों से पैरों में दर्द होने की शिकायत की. राजा का कहना था कि मार्ग में जो कंकड़ पत्थर थे वो मेरे पैरों में चुभ गए, जिससे मुझे बेहद तकलीफ हो रही है. मेरे पैरो में दर्द है और चलने की हिम्मत नहीं हो रही. इसलिए उन कंकडो और पत्थरों का कुछ इंतजाम करना चाहिए.
कुछ देर विचार करने के बाद उसने अपने सैनिकों व मंत्रियों को आदेश दिया कि देश के संपूर्ण सड़कें चमड़े से ढंक दी जाएं. राजा का ऐसा आदेश सुनकर सब सकते में आ गए. लेकिन किसी ने भी मना करने की हिम्मत नहीं दिखाई. यह तो निश्चित ही था कि इस काम के लिए बहुत सारे रुपए की जरूरत थी. लेकिन फिर भी किसी ने कुछ नहीं कहा.
कुछ देर बाद राजा के एक बुद्घिमान मंत्री ने एक युक्ति निकाली. उसने राजा के पास जाकर डरते हुए कहा कि मैं आपको एक सुझाव देना चाहता हूँ.
मंत्री ने राजा से कहा कि अगर आप इतने रुपयों को अनावश्यक रूप से बर्बाद न करना चाहें तो एक अच्छी तरकीब मेरे पास है, जिससे आपका काम भी हो जाएगा और अनावश्यक रुपयों की बर्बादी भी बच जाएगी.
राजा आश्चर्यचकित था क्योंकि पहली बार किसी ने उसकी आज्ञा न मानने की बात कही थी.
उसने कहा बताओ क्या सुझाव है. मंत्री ने कहा कि पूरे देश की सड़कों को चमड़े से ढंकने के बजाय, आप चमड़े के एक टुकड़े का उपयोग कर अपने पैरों को ही क्यों नहीं ढंक लेते. राजा ने अचरज की दृष्टि से मंत्री को देखा और उसके सुझाव को मानते हुए अपने लिए जूता बनवाने का आदेश दे दिया. जूता बनकर तैयार हो गया. ये थी जूतों की खोज!
यह सुझाव राजा को इतना पसंद आया कि उसने अपने राज्य में रहने वाले सभी लोगो के लिए जूते बनवाने का आदेश दे दिया और इस तरह से जूतों की खोज हुई.
कोई भी बातें व्यर्थ नहीं होती.
इस कहानी से भी हमें बहोत सिखने का मौक़ा मिलता है.
यह कहानी हमें एक महत्वपूर्ण पाठ सिखाती है. हमें हमेशा ऐसे हल के बारे में सोचना चाहिए जो ज्यादा उपयोगी हो. जल्दबाजी में अप्रायोगिक हल सोचना बुद्धिमानी नहीं है, बल्कि बेवकूफी है. दूसरों के साथ बातचीत से भी अच्छे हल निकाले जा सकते हैं.