भारत और पाकिस्तान के लिए कश्मीर एक ऐसी हड्डी है जो दोनों के गले में अटकी हुई है और इस अब स्थिति ऐसी है कि इस हड्डी को ना ही निगला जा सकता है और ना ही उगला जा सकता है।
वैसे भारत और पाकिस्तान का कश्मीर को लेकर विवाद 1947 से ही जारी है।
इसको लेकर पाकिस्तान ने भारत पर तीन बार हमला भी किया, लेकिन तीनों ही बार पाकिस्तान को मुहँ की खानी पड़ी।
इतना ही नही 1971 की लड़ाई में तो इंडियन आर्मी ने पाकिस्तानी सेना को इस्लामाबाद तक खदेड़ दिया था।
लगभग आधे पाकिस्तान पर कब्ज़ा भी कर लिया था, लेकिन पाकिस्तान के आत्मसमर्पण के बाद भारत ने अपने उदार स्वभाव के चलते उनकी जमीन उन्हें लौटा दी और पाकिस्तानी सेना के बंदी बनाए गये 1 लाख सैनिकों को भी रिहा कर दिया गया।
हालाँकि पाकिस्तान ये अच्छे से जानता है कि आमने-सामने की लड़ाई में वो भारत से जिंदगी में कभी नहीं जीत पायेगा। इसलिए वो आये दिन घाटी में कोई ना कोई नापाक हरकत करके अपने इरादों को मजबूत करने की कोशिश करता रहता है। इसका ताजा उदहारण है हाल ही में सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी करना।
दरअसल कश्मीर घाटी में पाकिस्तान और अलगाववादियों ने ‘कम लागत में अधिक प्रभाव’ वाली नई रणनीति अपनाई है। जिसके तहत घाटी के नौजवानों को पैसे देकर सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी का नया पैतरा ईजाद किया है। इतना ही नहीं इस पर पिछले एक साल के अंदर 50 करोड़ से अधिक रूपये भी खर्च किये जा चुके है।
ये बात पिछले दिनों बीजेपी के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने एक बातचीत के दौरान बताई, उन्होंने आगे बताया कि सुरक्षा और ख़ुफ़िया तंत्र के अनुसार कश्मीर में इंडियन आर्मी ने आतंकवादियों की दूसरी पंक्ति का सफाया कर दिया है। जिससे अलगाववादी अलग-थलग पड़ गए है, इस बात से बौखलाए पाकिस्तान ने घाटी के आम नागरिकों को पैसे का लालच देकर पत्थरबाजी की नई रणनीति अपनाई है। बताया जा रहा है कि जिस किसी भी इलाके में सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी करनी होती है वहां पर पहले से ही ट्रकों के जरिये पत्थर पहुंचा दिए जाते है।
इसके बाद उस इलाके के किशोरों को रोज़ का पांच पांच रूपये देकर सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी करवाई जाती है।
सुरक्षा बलों पर पत्थरबाजी करने वाले हजारों की संख्या में होते है इसलिए अब तक कई सुरक्षाकर्मी घायल हो चुके है, वहीं जवाबी कार्यवाही में पैलेट गन के उपयोग से घाटी के कई नागरिक भी घायल हुए है।