मोहब्बत के चर्चे गली-गली में होते हैं और जो मोहब्बत में दीवाना हो जाए, उसे तो दुनिया सदियों तक याद रखती है!
लैला-मजनूँ, हीर-रांझा और ऐसे कितने ही उदाहरण हैं हमारे पास|
इनके प्यार की कहानी सुनें तो लगता है क्या इश्क़ था वो भी, जान दे दी लेकिन प्यार नहीं छोड़ा!
लेकिन आज के ज़माने में प्यार कैसा होना चाहिए?
कोई हद, किसी सीमा में बंधा हुआ या बेहिसाब, पागलों जैसा?
देखो दोस्तों, आज के ज़माने में पहले तो सच्चा सूफ़ी इश्क़ होता नहीं है, ऐसे आशिक़ मिलते नहीं हैं| जो अगर मिल जाएँ तो अब ऐसा सुनने को नहीं मिलता कि किसी ने इश्क़ में जान दे दी! शायद अब सब काफ़ी प्रैक्टिकल हो गए हैं और सोचते हैं कि मोहब्बत बहुत ज़रूरी है लेकिन अपनी जान से ज़्यादा नहीं! ऐसा सोचने में कुछ बुराई नहीं है वैसे!
सबसे पहले तो यह जान लो कि अगर तुम किसी से इश्क़ करते हो और उन्हें तुमसे इश्क़ नहीं है तो अपनी हदों में रहो! दीवानों जैसी कोई हरक़त मत कर डालो कि तुम्हारे साथ-साथ उनकी ज़िन्दगी में भी मुश्किलें बढ़ जाएँ! अगर बेतहाशा मोहब्बत हो भी गयी है तो अपने दिल में रखो, ज़बरदस्ती किसी पर थोपने की ज़रुरत नहीं है| अगर मना कर दिया गया है, तो क़दम पीछे हटा लो और उस इंसान के फ़ैसले की इज़्ज़त करो जिसे इतना प्यार करते हो!
और अगर इश्क़ की आग दोनों तरफ बराबर लगी है तो मोहब्बत के कुछ नए कीर्तिमान स्थापित कर डालो! दिखा दो दुनिया को और अपने प्रेमी को कि यह प्यार चीज़ क्या है! इतना प्यार करो, इतनी मोहब्बत करो कि आने वाली नस्लें तुम्हारे बारे में पढ़ें, सुनें और जानें कि हाँ, आज की दुनिया में भी ऐसे आशिक़ होते हैं! पर एक बात का ध्यान रहे, अपनी मोहब्बत दिखाने के चक्कर में अपने पार्टनर को परेशान मत करना, किसी मुश्किल में मत डाल देना!
कहते हैं, हर रिश्ते में थोड़ी स्पेस देनी चाहिए, बस इस बात का ख़याल रखना|
एक ख़ूबसूरत सच्चा प्यार मिल पाना सच में बहुत मुश्किल है दोस्तों!
अगर तुम्हें मिल गया है या किसी तरह मिल जाए, तो फिर नाप-तोल के मोहब्बत मत करना! तभी इश्क़ के नए रंग को जान पाओगे, मोहब्बत की नयी कहानी लिख पाओगे!