कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन उस दिन पुलिस के हाथों से मरने ही वाला था कि अचानक ही एक छिपकली के आ जाने से वह पुलिस की गिरफ्त में आने से बच गया और उसकी जान बच गई.
इस बात का खुलासा विजय कुमार ने अपनी किताब वीरप्पनरू चेसिंग द ब्रिगैंड में किया है.
गौरतलब है कि आतंक का पर्याय बने वीरप्पन का वर्ष 2004 में ऑपरेशन कॉकून में खात्मा विजय कुमार के नेतृत्व में ही किया गया था.
उस समय तमिलनाडु के विशेष कार्य बल यानी एसटीएफ की टीम की अगुवाई करने वाले विजय कुमार ने खुलासा किया है कि वीरप्पन को गजब की सिक्स्थ सैंस थी. इसकी वजह से वह कई बार पुलिस की गिरफ्त में आते आते रह गया था.
किताब में बताया गया है कि किस प्रकार चंदन तस्कर वीरप्पन को पकड़ने के लिए एक बार पुलिस ने जाल बिछाया था. पुलिस ने उसको हथियार बेचने के नाम पर बिछाए गए इस जाल में वह काफी हद तक फंसा भी लिया था.
प्लान के मुताबिक वह हथियारों की डील के लिए अपने साथियों के साथ आ भी रहा था. लेकिन रास्ते में उसके कंधे पर एक छिपकली गिर गई. उसको लगा यह अपशकुन लगा और वह वहां से ही वापस लौट गया. उस दिन यदि छिपकली चंदन तस्कर वीरप्पन के कंधे पर नहीं गिरती तो पुलिस उसको उसी दिन ही निपटा देती.
गौरतलब है कि हाथी दांत और चंदन तस्कर वीरप्पन नृशंस हत्याओं और वन अधिकारियों के अपहरण को लेकर कुख्यात था. लेकिन उस वक्त वह काफी चर्चा में आ गया था जब उसने कन्नड़ फिल्म अभिनेता राजकुमार को 108 दिन तक अगवा कर बंधक बना लिया था.
आपको बता दे कि वीरप्पन के पीछे तीन तीन राज्यों की पुलिस लगी हुई थी.
लेकिन वह उनके हाथ नहीं लग रहा था. पुलिस की मदद के लिए केंद्र सरकार ने भी अर्धसैनिक बल भी इन राज्यों को मुहैया करा रखे थे.
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