अम्मा जो तमिलनाडु में विख्यात नाम है.
यहाँ पर अम्मा का अर्थ सिर्फ और सिर्फ जयललिता ही होता है.
इन दिनों अम्मा की तबियत काफी खराब है. 74 दिनों में जयललिता को दूसरी बार हार्टअटैक आया है और इस वजह से राज्य में फ़ोर्स की तैनाती कर दी गयी है. असल में जयललिता मात्र राज्य की मुख्यमंत्री नहीं हैं बल्कि वह लोगों की अम्मा भी हैं. तमिलनाडु के लोग अम्मा की पूजा करते हैं और इस समय राज्य को यही डर है कि अम्मा की खराब स्वास्थ्य के चलते राज्य के हालात खराब हो सकते हैं.
एक समय था जब जयललिता ने राज्य की विधानसभा सभा में एक कसम खाई थी और जब वह प्रतिज्ञा पूरी हुई तो उसके बाद जनता ने इनको अम्मा का नाम दिया था.
तो आइये आज हम आपको बताते हैं कि आखिर कैसे जयललिता का नाम अम्मा पड़ गया था-
जयललिता का नाम अम्मा –
विधानसभा में जयललिता का किया गया था अपमान
असल में यह कहानी है साल 1989 की है. जब विधानसभा में जयललिता की पार्टी ने सदन में यह बात कही थी कि जयललिता के खिलाफ साजिश हो रही है और कोई है जो उनकी हत्या का प्लान बना रहा है, किन्तु तब सदन में बजट रखा जाना था इसलिए उस समय इस विषय पर बहस की अनुमति नहीं दी गयी थी. इस बात से जयललिता पार्टी के सदस्य काफी खफा हो गये थे और सदन में हंगामा शुरू हो गया था. कुछ समय में सदन में हंगामा हाथापाई तक बढ़ गया था और डीएमके पार्टी के सदस्य से जयललिता का अपमान हो गया था.
असल में जयललिता सदन से जा रही थी और इनको रोकने के चक्कर में इनकी साड़ी का पल्लू एक सदस्य से नीचे गिर गया था. तब जयललिता ने प्रतिज्ञा ली थी कि वह इस सदन में तभी आयेंगी जब वह राज्य की मुख्यमंत्री बन जायेंगी.
बन गयी थीं मुख्यमंत्री और ऐसे पड़ा नाम अम्मा
इस प्रतिज्ञा के बाद साल 1991 में पहली बार जयललिता जी राज्य की मुख्यमंत्री बनी थी.
जयललिता जब चुनाव का प्रचार कर रही थीं तो कुछ गाँव के लोग अपनी समस्या सुनाते हुए इनको बार-बार अम्मा बोल रहे थे और यह शब्द जैसे जयललिता के दिल को सुकून दे रहा था और तभी से जयललिता ने अपना नाम अम्मा रखने की सोच लिया था. बाद में अपने मुख्यमंत्री कार्यकाल में जयललिता ने कई योजनायें बनाई जिनका नाम ही अम्मा परियोजना रखा गया था. धीरे-धीरे सारा तमिलनाडु ही इस सामाजिक महिला को अम्मा नाम से पुकारने लगा था.
तो इस तरह जयललिता का नाम अम्मा पड़ गया .
ऐसा व्यक्तित्व कम ही लोगों का होता है
जयललिता जैसा व्यक्तित्व असल में बहुत ही कम लोगों का होता है.
किसी की बात अच्छी लगती है तो अम्मा तुरंत उसकी वाहवाही भी करती थी और अगर किसी की बात बुरी लगी तो चाहे उसका परिणाम कुछ भी हो लेकिन उस व्यक्ति की बुराई भी अम्मा खुलकर किया करती थीं. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार भी अम्मा ने इसीलिए गिराई थी क्योकि वाजपेयी जी अम्मा से किया अपना एक वादा निभा नहीं रहे थे.
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