हम सभी को यही ज्ञात हैं कि हनुमान जी भगवान् शिव के अवतारों में से एक हैं वो भी शिव के रूद्र अवतार में से एक.
हनुमान को संकटमोचन इस लिए कहते हैं क्योंकि उन्हें उनके बुद्धि बल, शौर्य, पराक्रम का प्रतीक कहा जाता हैं. हर मुश्किल की घड़ी में श्री हनुमान का ही स्मरण किया जाता हैं.
पर क्या आप जानते हैं कि श्री हनुमान का जन्म कैसे हुआ?
हनुमान जी को रूद्र अवतार में से एक कहा जाता हैं और रूद्र आंधी-तूफ़ान के देवता कहे जाते हैं जिसमे देवराज इंद्र भी इनके साथ आते हैं. विष्णु पुराण की एक कथा के अनुसार कहा गया हैं कि रूद्र का जन्म भगवान ब्रह्मा की भृकुटी जिसे हम भौहें के बीच का हिस्सा भी कहते हैं से हुआ हैं.
एक कथा के अनुसार हनुमान का यह नाम इसलिए पड़ा था क्योंकि एक बार उन्हें किसी ऋषि के अस्त्र से ठोड़ी में चोट लगी थी और उस चोट से बालक हनुमान मुर्छित हो गए थे. देवताओं के आशीर्वाद से हनुमान की चोट ठीक हुई और उन्हें यह आशीर्वाद दिया गया कि तुम हनुमान के नाम पुरे संसार में जाने जाओगे. हनु का अर्थ ठोड़ी भी होता हैं.
वैसे कहा जाता हैं कि हनुमान शब्द की उत्त्पति चार चीजों से मिल कर हुई हैं. ब्रह्मा के ह, नु का अर्चना, मा का लक्ष्मी, न का पराक्रम का पर्याय हैं.
श्री हनुमान अपने बल, बुद्धि और पराक्रम के साथ संगीत के भी ज्ञाता माने जाते है वो भी शास्त्रीय संगीत के. श्री हनुमान को संगीत के 3 आचार्यों में से एक माना जाता हैं. हनुमान के अलावा संगीत के दो आचार्य थे श्रादुल और कहाल हैं. कहा जाता है कि संगीत पारिजात श्री हनुमान के संगीत शास्त्र पर ही आधारित हैं. हनुमान जी एक सेवक के साथ गजब के गायक, नर्तक, वक्ता, नीतिकार और अच्छे राजदूत भी थे.
हम सभी को यही ज्ञात है की रामायण वाल्मीकि द्वारा सबसे पहले लिखी गयी थी लेकिन कहते हैं कि श्री हनुमान ने भगवान् के बारे में हर चीज़ पत्थरों पर लिखी थी. जिसे हनुमन्नाटक के नाम से भी जाना जाता हैं.
हनुमान जी के जन्म स्थल की भी कई कथाएँ प्रचलित हैं. मध्यप्रदेश के आदिवासियों के अनुसार हनुमान का जन्म रांची के अंजन गाँव में हुआ था. वही दक्षिण भारत के लोगों के अनुसार हनुमान का जन्म कर्नाटक में हुआ. इन बातों के अलावा हनुमान के जन्म की भी रोचक कहानी हैं.
कहते हैं कि मारुती जो हनुमान के पिता हैं ने अंजनी को वन में कही देखा था और उन पर मोहित हो गए थे जिसके कारण अंजनी गर्भवती हो गयी थी. ऐसी ही एक मान्यता के अनुसार कहा जाता हैं कि वायु देव एक बार अंजनी के कान में प्रवेश कर दुसरे कान से निकल गए थे लेकिन इससे अंजनी गर्भवती हो गयी थी.
इसलिए हनुमान को वायु पुत्र भी कहा जाता हैं.
आन्दन रामायण के अनुसार हनुमान उन आठ अमर आत्माओ में से है जो आज भी जीवित हैं हनुमान के अलावा अश्वस्थामा, परशुराम, बलि, व्यास, विभीषण, नारद, मार्कंडेय सात अमर जीव हैं.
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