भूकंप के झटके – अक्सर आप सुनते रहते हैं कि फलां जगह पर भूकंप आ गया और इतने लोगों की मौत हो गई.
ये बहुत ही भयानक प्राकृतिक आपदा है जिसे रोका नहीं जा सकता. भूंकप की तीव्रता यदि ज़्यादा हो तो इससे भारी नुकसान होता है, लेकिन क्या आप जानते है कि भूकंप क्यों और कैसे आता है?
चलिए हम समझाते हैं भूकंप के झटके क्यों आते है !
दरअसल, पूरी धरती 12 टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित।
इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है. ये प्लेटें इसी लावे पर तैर रही हैं और जब ये प्लेटे टकराती हैं तो इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है जिसे भूकंप कहते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि ये टकराती क्यों है तो हम बता दें कि ये प्लेटें बहुत धीरे-धीरे घूमती रहती हैं. इस प्रकार ये हर साल में 4-5 मिमी अपने स्थान से खिसक जाती. कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है.
ऐसे में कभी-कभी ये टकरा भी जाती हैं, जिससे भूकंप आते हैं, भूकंप के झटके आते है !
ये प्लेटें सतह से करीब 30-50 किमी तक नीचे हैं. लेकिन यूरोप में कुछ स्थानों पर ये अपेक्षाकृत कम गहराई पर हैं. अक्सर आपने न्यूज़ में सुना होगा भूकंप का केंद्र. ये केंद्र दरअसल, वह स्थान होता है जिसके ठीक नीचे प्लेटों में हलचल से भूगर्भीय ऊर्जा निकलती है. इस स्थान पर भूकंप का कंपन ज्यादा होता है. कंपन की आवृत्ति ज्यों-ज्यों दूर होती जाती हैं, इसका प्रभाव कम होता जाता है. फिर भी यदि रिक्टर स्केल पर 7 या इससे अधिक की तीव्रता वाला भूकंप है तो आसपास के 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है, लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि भूकंपीय आवृत्ति ऊपर की तरफ है या दायरे में. यदि कंपन की आवृत्ति ऊपर है तो कम क्षेत्र प्रभावित होगा.
भूंकप के खतरे के हिसाब से भारत को चार जोन में विभाजित किया गया है.
जोन दो-दक्षिण भारतीय क्षेत्र जो सबसे कम खतरे वाले हैं. जोन तीन-मध्य भारत, जोन चार-दिल्ली समेत उत्तर भारत का तराई क्षेत्र, जोन पांच-हिमालय क्षेत्र और पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा कच्छ. जोन पांच सबसे ज्यादा खतरे वाले हैं.
भूंकप की जांच रिक्टर स्केल से होती है. भूकंप के दौरान धरती के भीतर से जो ऊर्जा निकलती है, उसकी तीव्रता को इससे मापा जाता है. इसी तीव्रता से भूकंप के झटके की भयावहता का अंदाजा होता है.
रिक्टर स्केल पर 5 से कम तीव्रता वाले भूकंपों को हल्का माना जाता है. साल में करीब 6000 ऐसे भूकंप आते हैं.
जबकि 2 या इससे कम तीव्रता वाले भूकंपों को रिकार्ड करना भी मुश्किल होता है तथा उनके झटके महसूस भी नहीं किए जाते हैं ऐसे भूकंप साल में 8000 से भी ज्यादा आते हैं.
भूकंप ने न जाने कितनी बार पूरे गांव, शहर को बर्बाद कर दिया है, फिर भी हमारे देश में इसे रोकने कि दिशा में कोई खास प्रयास नहीं होते और न ही भूकंप आने की स्थिति में सुरक्षा के लिहाज से इमारत बनाते समय ही सुरक्षा मानको का ध्यान रखा जाता है. जिस इलाके में ज़्यादा भूकंप आते हैं वहां लोगों को भूकंप रोधी मकान बनवाने चाहिए.
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