धर्म और भाग्य

हमारी हर पूजा-पाठ का हिस्सा ‘नारियल’ का जन्म कैसे हुआ !

हिन्दू धर्म में नारियल का महत्व है खासकर धार्मिक कार्यक्रम में नारियल नहीं हो तो वो अधुरा समझा जाता है।

लेकिन क्या आप जानते है हमारी पूजा-पाठ में नारियल का महत्व क्या है और सदैव हमारे साथ रहने वाला नारियल कैसे अस्तित्व में आया।

दरअसल नारियल के पीछे भी एक पौराणिक कथा है जिसके अनुसार नारियल का इस धरती पर अवतरण ऋषि विश्वामित्र द्वारा किया गया था।

ये कहानी प्राचीन काल के राजा सत्यव्रत से जुडी है. राजा सत्यव्रत को स्वर्गलोक की सुन्दरता अपनी और आकर्षित करती थी और उनकी एक ही इच्छा थी कि किसी भी तरह धरती से स्वर्गलोक जा सके।

लेकिन स्वर्ग कैसे जाया जाये ये सत्यव्रत नहीं जानते थे।

जब एक बार राजा के क्षेत्र में सुखा पड़ा तो उन्होंने सभी पीड़ित परिवारों कि सहायता की और उनके खाने-पीने का इन्तेजाम किया, इन्ही में से एक परिवार ऋषि विश्वामित्र का भी था जो उस समय अपने नगर से काफी दूर कही तपस्या कर रहे थे और लंबे समय से घर वापस नहीं आये थे। जब ऋषि विश्वामित्र वापस लौटे तो उन्हें अपने परिवार वालों ने सुखा पड़ने और राजा द्वारा की गई मदद की बात बताई तो वे राजा से मिलने उनके दरवार पहुंचे और उनका धन्यवाद किया।

लेकिन राजा ने शुक्रिया के बदले उन्हें एक वरदान देने का निवेदन किया।

ऋषि विश्वामित्र उन्हें वरदान मांगने कि आज्ञा दी, तब राजा ने वरदान में माँगा कि वे स्वर्गलोक जाना चाहते है और विश्वामित्र अपनी शक्तियों से उन्हें स्वर्ग पहुँच दे। अपने परिवार की मदद के बदले विश्वामित्र ने राजा की बात मान ली और एक ऐसा मार्ग तैयार किया जो सीधा स्वर्गलोक को जाता था। राजा सत्यव्रत खुश हो गए और उस मार्ग के जरिये स्वर्गलोक के पास पहुंचे ही थे कि इंद्र ने उन्हें वापस नीचे धकेल दिया। राजा सीधे धरती पर गिरे और विश्वामित्र के पास पहुंचे और रोते हुए सारी घटना का वर्णन करने लगे।

देवताओं के इस प्रकार व्यवहार से विश्वामित्र क्रोधित हो उठे और सीधे देवताओं से बात करने पहुँच गए, फिर आपसी सहमति से एक हल निकाला गया इसके मुताबिक राजा सत्यव्रत के लिए एक अलग से स्वर्गलोक के निर्माण का आदेश दिया गया।

ये नया स्वर्ग धरती और देवताओ के स्वर्ग के बीच बनाया जा रहा था, लेकिन अभी भी विश्वामित्र को एक चिंता ने घेरा हुआ था। उन्हें इस बात का डर था कि कहीं ये नया स्वर्ग हवा में डगमगा ना जाये जिससे राजा फिर धरती पे आ गिरेंगे। इसका हल निकालने के लिए विश्वामित्र ने इस स्वर्गलोक के ठीक नीचे एक खंबे का निर्माण किया जिसने उसे सहारा दिया।

ऐसा माना जाता है कि यही खम्बा कई समय बीतने के बाद एक पेड़ के मोटे तने के रूप में बदल गया और राजा सत्यव्रत का सिर एक फल बन गया। इस पेड़ को नारियल का पेड़ और राजा के सिर को नारियल कहा जाने लगा।

इसलिए आज भी नारियल का पेड़ काफी ऊंचाई पर लगता है, बाद में इस नारियल के फल को धार्मिक अनुष्ठानों में इस्तेमाल किया जाने लगा जो आज तक जारी है।

ये है नारियल का महत्व.

Sudheer A Singh

Share
Published by
Sudheer A Singh

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago