बहुत मज़ा आता है ना पश्चिमी सभ्यता की नक़ल करने में?
उनके जैसे कपड़े, उनके जैसे खाने-पीने का ढंग, उन्हीं की तरह बोलना-चलना, सब अच्छा लगता है, है ना?
तो फिर उन्हीं की तरह ज़िंदगी क्यों नहीं जी जाए?
जानते हैं आप, अमरीका जैसे देशों में 17-18 साल की उम्र में ही बच्चों को कह दिया जाता है कि अब तुम बड़े हो गये हो, अपना कमाओ और पढ़ाई करो! बल्कि अपने रहने-खाने का इंतज़ाम भी खुद ही कर लो, हाँ थोड़ी-बहुत ज़रूरत रही तो माँ-बाप कुछ मदद कर देंगे पर पहले खुद कोशिश करनी होगी!
क्या भारत में ऐसा होता है या हो सकता है?
और अगर मान लीजिए हो भी गया तो क्या यहाँ के युवा ऐसा जीवन जी पाएँगे?
हमें तो आदत है शादी के बाद भी माँ-बाप के ऊपर निर्भर रहने की, लेकिन अब सीखना पड़ेगा कैसे 18 साल की उम्र में अपने पैरों पे खड़े रहना?
जिगर चाहिए दोस्तों!
अगर है दम तो चलिए बताते हैं कैसे अपने पैरों पे खड़े रहना और अपने माँ-बाप का सर ऊँचा कर सकते हैं!
1) रहने की चिंता
कोई बड़ी बात नहीं है| दो-चार दोस्त मिल के एक घर या छोटा सा कमरा किराए पर ले सकते हैं और अपनी ज़िंदगी की शुरुआत कर सकते हैं!
2) पैसों की चिंता
यह भी बड़ी बात नहीं है| आजकल कॉलेज के साथ ही ढेरों पार्ट-टाइम नौकरियाँ मिल जाती हैं| सुबह कॉलेज जाइए, दोपहर-शाम या रात को पार्ट-टाइम नौकरी करके अपने खर्चे उठाइए!
3) खाने की चिंता
यार अब 18 साल के हो गये हो तो खाना बनाना भी सीख लो ना! यह काम सिर्फ़ लड़कियों का होता है, इस दकियानूसी विचार को दिमाग़ से निकाल कर फेंक दो और लग जाओ कोई नयी लज़्ज़तदार सब्ज़ी बनाने में! साथ में कपड़े धोना और सफाई करना भी सीखना मत भूलना! बहुत हुई घरवालों से सेवा, अब थोड़ी मेहनत करना भी सीखो!
4) दुनियादारी
हाँ दोस्त, यह तो जब तक करोगे नहीं, सीखोगे नहीं! और इसे सीखने का सबसे आसान तरीका है, अपने दम पर दुनिया के साथ व्यवहार करना! सौ बार गिरोगे, ठोकरें खाओगे, गाली भी पड़ेगी, जूते भी, लेकिन फिर जो ज्ञान चक्षु खुलेंगे ना, वो माँ-बाप की गोद में बैठ कर कभी नही खुल पाएँगे!
5) आत्मनिर्भरता
अगर पहले बताए सब काम सीख लिए ना तो आत्मनिर्भर हो ही जाओगे! फिर किसी सहारे की ज़रूरत नही रहेगी, बल्कि दूसरों को सहारा देने का मादा आ जाएगा खुद में| एक संपूर्णता आ जाएगी व्यक्तित्व में जो बता देगी कि तुम अब एक समझदार इंसान में तब्दील हो चुके हो!
फिर क्या, परिवार का सर ऊँचा और छाती गर्व से चौड़ी हो जाएगी!
करके देखो, मुश्किल है, नामुमकिन नहीं!
जय जवान!
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