धर्म और भाग्य

एक गरीब ब्राह्मण भोजन चुराता हुआ पकड़ा गया और फिर वो कैसे बन गए धन के देवता कुबेर देव!

धन-दौलत की चाह रखनेवाले हमेशा धन की देवी लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं.

माता लक्ष्मी की पूजा धन की देवी के रुप में होती है तो धन के देवता के रुप में पूजे जाते हैं कुबेर देव. कुबेर धन के देवता कहे जाते हैं लेकिन उनके कुबेर बनने की कहानी शायद हर कोई नहीं जानता है.

तो आइए जानते हैं कि कुबेर देव असल में कौन थे और किसकी कृपा दृष्टि से वो धन के देवता कहलाए.

पूर्व जन्म में गरीब ब्राह्मण थे कुबेर

एक पौराणिक कथा के अनुसार अपने पूर्व जन्म में कुबेर देव गुणनिधि नाम के गरीब ब्राह्मण थे.

बचपन में उन्होंने अपने पिता से धर्म शास्त्रों की शिक्षा ली, लेकिन धीरे-धीरे गलत संगत में आने से उन्हें जुआ खेलने और चोरी करने की लत लग गई.

पिता ने घर से निकाला

गुणनिधि की इन हरकतों से परेशान होकर पिता ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया. घर से निकाले जाने के बाद गुणनिधि की हालत दयनीय हो गई और वो लोगों के घर जा-जाकर भोजन मांगने लगे.

भोजन की तलाश में जंगल पहुंचे

एक दिन गुणनिधि भोजन की तलाश में गांव-गांव भटक रहे थे, लेकिन उस दिन उन्हें किसी ने भोजन नहीं दिया. जिसके बाद भूख और प्यास से परेशान गुणनिधि, भटकते-भटकते जंगल की ओर निकल पड़े.

तभी उन्हें कुछ ब्राह्मण अपने साथ भोग की सामग्री लेकर जाते हुए दिखाई दिए. भोग की सामग्री को देख गुणनिधि की भूख बढ़ गई और खाने की लालच में वो ब्राह्मणों के पीछे-पीछे चल दिए.

चलते-चलते शिवालय पहुंच गए

ब्राह्मणों का पीछा करते-करते गुणनिधि एक शिवालय आ पहुंचे. जहां उन्होंने देखा कि मंदिर में ब्राह्मण भगवान शिव की पूजा कर रहे थे. और भगवान शिव को भोग अर्पित कर सभी ब्राह्मण भजन-कीर्तन में मग्न हो गए.

मंदिर में भोग चुराते पकड़े गए

गुणनिधि शिवालय में भोजन चुराने की ताक में बैठे हुए थे.

उन्हें भोजन चुराने का मौका रात में तब मिला, जब भजन-कीर्तन समाप्त कर सभी ब्राह्मण सो गए.

गुणनिधि दबे पांव भगवान शिव की प्रतिमा के पास पहुंचे और वहां से भोग के रुप में रखा प्रसाद चुराकर भागने लगे. लेकिन भागते समय एक ब्राह्मण ने उन्हें देख लिया और चोर-चोर चिल्लाने लगा.

गुणनिधि जान बचाकर वहां से भाग निकले, लेकिन नगर के रक्षक का निशाना बन गए और वहीं उनकी मृत्यु हो गई.

अंजाने में सफल हुआ महाशिवरात्रि का व्रत

भोग चोरी करके भागते वक्त गुणनिधि की मौत हो गई लेकिन अंजाने में उनसे महाशिवरात्रि के व्रत का पालन हो गया तथा वो उस व्रत से प्राप्त होनेवाले शुभ फल के हकदार बन गए.

अगले जन्म में बने कलिंग के राजा

अंजाने में महाशिवरात्रि के व्रत का पालन हो जाने की वजह से गुणनिधि अपने अगले जन्म में कलिंग देश के राजा बने. अपने इस जन्म में गुणनिधि भगवान शिव के परमभक्त हुए.

शिव की कृपा से बने धन के देवता

वे सदैव भगवान शिव की भक्ति में खोए रहते थे. उनकी इस कठिन तपस्या और भक्ति को देखकर भगवान शिव उनपर प्रसन्न हुए. भगवान शिव ने वरदान देते हुए उन्हें यक्षों का स्वामी तथा देवताओं का कोषाध्यक्ष बना दिया.

कहते हैं भगवान शिव जिसपर प्रसन्न हो जाते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.

यह भगवान शिव की ही एक माया थी जिससे गरीब ब्राह्मण गुणनिधि धन के देवता कुबरे कहलाए, और संसार में पूजनीय हुए.

Anita Ram

Share
Published by
Anita Ram

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago