आज तक हर कोई यही जानता है कि भगत सिंह की मृत्यु के पीछे अंग्रेज रहे थे.
23 मार्च को भगत सिंह को फांसी दे दी गयी और इसमें भगत जी शहीद को गये थे. किन्तु यह सच नहीं है.
भगत सिंह की मौत उस दिन नहीं हुई थी बल्कि भगत सिंह की मौत उस दिन हुई जब हमने इनके विचारों और इनके उद्देश्य को अपने दिलों से निकाल फेंका था.
भगत सिंह कोई एक व्यक्ति नहीं था जो मात्र फांसी से मर सकता था. वह अमर आत्मा थी जो कभी भी दम नहीं तोड़ सकती थी. लेकिन देखते ही देखते भगत सिंह ने तब दम तोड़ दिया था जब उनके सपनों का भारत नहीं बन पाया था.
तो आइये पढ़ते हैं कि भगत सिंह को हमने कब-कब मारा और कब-कब मार रहे हैं-
1. हर हाथ को रोटी
अगर आज भी आजादी के इतने सालों बाद भी हर हाथ को रोटी कपड़ा और मकान नहीं मिल पाया है तो समझ लो कि भगत सिंह आज हमारे बीच नहीं है. वह जिन्दा था आजादी तक लेकिन जब देश में लूट मची तो यह देखने के बाद वह मर गये कि आज भी हर हाथ को रोटी नहीं मिली है.
2. बंटवारा देखकर भगत सिंह मरे
जब भगत सिंह ने देश के टुकड़े होते हुए देखे तो वह मर गये थे. एक भगत सिंह जिसने देश के लिए फांसी के फंदे को स्वीकार किया था और हमने कितनी आसानी से भगत को मारते हुए देश के टुकड़े स्वीकार कर लिए थे.
3. जब देश में दंगे हुए
भगत सिंह हमेशा कहते थे कि देश में धर्म के नाम पर फसाद नहीं होने चाहिए. लेकिन फिर भी हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए और एक दूसरे का खून निकाला गया. उस दिन भगत सिंह को हमने मार दिया था.
4. जब कोई किसान आत्महत्या करता है
जब भी देश का एक किसान आत्महत्या करता है तो भगत सिंह दम तोड़ देता है. भगत सिंह जो खुद एक किसान थे और किसान परिवार थे वह चाहते थे कि किसानों की हालत अच्छी हो लेकिन आज किसान दम तोड़ रहे हैं. और आज भगत सिंह भी अपना दम तोड़ रहा है.
5. जब कोई भारत माता को गाली देता है
जब भी कोई भारतीय नागरिक भारत माता को गाली देता है तो भगत सिंह अपना दम तोड़ देता है. एक भारतीय होकर और जिस माँ के लिए शहीदों ने अपना वजूद तक कुर्बान कर दिया, उसको गाली सुनने के बाद भी पूरा देश शांत रहे तो भगत सिंह अपना दम तोड़ देता है.
तो अब आप ही बताओ कि क्या आपके दिल में भगत सिंह जिंदा हैं और वो तभी जिन्दा हो सकते हैं जब आप उनके सपनों को पूरा करने का प्रयास कर रहे हों.
वरना भगत सिंह रोज हमारे बीच दम तोड़ते देखे जा सकते हैं.