महाभारत का युद्ध – इतिहास गवाह है कि महाभारत के युद्ध में कौरवों की विशाल सेना के आगे पांडवों की सेना कुछ भी नहीं थी, लेकिन फिर पांडवों ने ये युद्ध जीतकर इतिहास रच दिया.
आज हजारों साल बाद भी महाभारत के युद्ध में कृष्ण और अर्जुन की नीतियों की मिशाल दी जाती है.
लेकिन क्या आप जानते है कौरवों की विशाल सेना को कैसे पांडवों ने हरा दिया था. जब कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध की संभावना व्यक्त की जा रही थी तब सभी को लग रहा था कि इस युद्ध में कौरवों की ही जीत होगी. लेकिन अंत में हुआ इसके विपरीत ही पांडवों ने कौरवों का नाश करके महाभारत का युद्ध जीत लिया.
जब युद्ध में कौरवों की विशाल सेना देखकर अर्जुन ने अपनी छोटी सी सेना देखी तो वे घबरा गए.
अर्जुन के इस डर को भांपकर श्रीकृष्ण बोले- हे अर्जुन तुम शरीरिक रूप से कौरवों की सेना देखकर मत घबराओं और अपनी बुद्धि व विवेक से काम लो, जिसके पास बुद्धि है उसके पास हर प्रकार का बल है. इसी प्रकार जो व्यक्ति अपनी बुद्धि का इस्तेमाल नहीं करता वह हमेशा कष्टों में रहता है.
श्रीकृष्ण ने आगे कहा- हे अर्जुन इस धरा पर मनुष्य ही सबसे सर्वश्रेष्ठ है इसकी वजह यही है कि सिर्फ मनुष्य के पास ही बुद्धि बल है और इसकी बदौलत वह असंभव को भी संभव बना सकता है. और किसी भी युद्ध को जीतने के लिए शारीरिक शक्ति के साथ बुद्धि की भी जरूरत होती है. बुद्धि से बड़ी से बड़ी सेना को भी परास्त किया जा सकता है. मनुष्य की बुद्धि को न कोई चुरा सकता है और न ही कोई उसे छीन सकता है. बल्कि बुद्धि ही मनुष्य के पास एकमात्र ऐसा धन है जिसे बाँटने पर यह बढती है.
श्रीकृष्ण की इन बातों को सुनकर अर्जुन ने अपनी बुद्धि का इस्तेमाल किया और अपने युद्ध कौशल और नीतियों से कौरवों को युद्ध में हरा दिया और महाभारत का युद्ध जीत लिया. भगवद्गीता में अर्जुन और कृष्ण के युद्ध के समय के कई संवाद है जो बुद्धि बल के बारे में बताते है. आप भी अर्जुन से सीख सकते है कि कैसे अपनी बुद्धि के इस्तेमाल से युद्ध के साथ ही जिंदगी की हर मुश्किल में जीत हासिल की जा सकती है.