हॉस्टल लाइफ और फ़िल्में … एक दुसरे के बिना अधूरी है
कोर्स चाहे इंजीनियरिंग हो या मेडिकल , ऍम बी ए या लॉ . हॉस्टल की मस्ती सब जगह एक जैसी ही होती है . और एक जैसी होती है देखी जाने वाली फ़िल्में .
अगर आप हॉस्टल में कभी रहे है तो ये फ़िल्में आपको ले जाएगी जिन्दगी के उस सबसे मस्ती भरे वक्त की और या फिर आप हॉस्टल में रहने वाले है तो भी ये फ़िल्में मनोरंजन करेगी मुश्किल से भी मुश्किल दौर में .
1. अंदाज़ अपना अपना
शायद ही कोई होगा जिसने ये फिल्म एक बार से ज्यादा नहीं देखी हो .
आमिर खान , सलमान खान , रवीना और करिश्मा के साथ साथ इस फिल्म को यादगार बनाने वाले थे इसके चुटीले गुदगुदाते संवाद और रंग बिरंगे चरित्र . चाहे वो भल्ला हो या क्राइम मास्टर गोगो , तेजा के रूप में परेश रावल हो या फिर मेहमान भूमिका में जगदीप और देवेन वर्मा .
हॉस्टल लाइफ की सबसे ज़रूरी फिल्मों में से एक है ये , घूमते फिरते किसी कॉरिडोर या क्लासरूम में
‘आप पुरुष ही नहीं महापुरुष हो ’ या फिर ‘मुगाम्बो का भतीजा हु आया हु तो कुछ लेकर ही जाऊंगा ’
या फिर ‘तेजा मैं हूँ मार्क इधर है ’ . तकरीबन हफ्ते में एक या दो बार हॉस्टल के हर कमरे में ये फिल्म चल ही जाती है .