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स्वागत है ऐसे भारत में जहाँ सच्चाई और ईमानदारी की सजा है मौत!

सच्चाई और ईमानदारी की हमेशा जीत होती है…

हम एक बार फिर आगे बढ़ रहे है विकसित देश बनने की राह पर. ईमानदारी कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल है हम. साम्प्रदायिक सदभाव हमारी खासियत है, भ्रष्टाचार से बहुत जल्दी ही मुक्त होंगे.

कितनी अच्छी लगती है ना ये बातें सुनने में? लगता है ये सब बातें बातें ही रह जायेगी. इसमें कोई दो राय नहीं कि हम आगे बढ़ने की राह पर है लेकिन वहीँ देश में कुछ लोग ऐसे भी है या यूँ कहे देश में अभी भी कुछ जगह ऐसी मानसिकता बाकि है जो इंसान कम राक्षस ज्यादा है और ये मानसिकता हमें आगे बढ़ने से रोक रही है.

छोटी मोटी घटनाएँ तो हर जगह होती रहती है पर कुछ घटनाएँ ऐसी है जिनके बारे में सुनकर लगता है कि हम भ्रष्ट से और भ्रष्ट होते जा रहे है और सच्चाई, ईमानदारी गुण नहीं गुनाह बन चुके है ऐसे गुनाह जिनकी सजा है मौत  

सौरभ कुमार

वैसे तो कहते है ईमानदारी से बढ़कर कुछ नहीं है. लेकिन आज ईमानदार होने की कीमत जान गँवा कर चुकानी पद रही है.

इस बात का सबसे ताज़ा उदहारण रेलवे इंजिनियर सौरभ कुमार की संदिग्ध हालत में हुई मृत्यु है. सौरभ एक बहुत ही ईमानदार अधिकारी थे. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार उनकी मौत सांप के काटने से हुई है. लेकिन उनके परिवारवालों और उन्हें जानने वालों की माने तो सौरभ की मौत उनकी ईमानदारी की वजह से हुई है.

कहा जाता है की सौरभ ने एक टेंडर को पास करने के लिए रिश्वत लेने से मना कर दिया और इनाम में उन्हें मिली मौत. सुरभि कुमार की मृत्यु के कारण की जांच के आदेश दे दिए गए है. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि रिश्वतखोरी पर मिलती है दूध मलाई और अपना काम निष्ठां से करने पर मिलती है मौत.

शणमुघम मंजुनाथ

साल था 2005. इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन के मैनेजर मंजुनाथ ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में दो पेट्रोल पंप को सील करने के आदेश दिए.

दोनों पेट्रोल पंप पर मिलावटी पेट्रोल बेचने का आरोप था. सील करने के बाद भी एक पेट्रोल पंप ने पेट्रोल बेचना बंद नहीं किया. जब मंजुनाथ वहां रेड मारने गए तो पेट्रोल माफिया द्वारा उन्हें गोली मार दी. मंजुनाथ पर एक फिल्म भी बनी है पर उन्हें इन्साफ अभी तक नहीं मिला.

यशवंत सोनवाने

 2011 यशवंत मालेगांव के अतिरिक्त जिला कलेक्टर थे. वो तेल माफिया के विरुद्ध कार्य कर रहे थे. पोपट शिंदे नाम के एक ढाबा मालिक और गुंडे के यहाँ से यशवंत ने हजारों लीटर अवैध केरोसिन और पेट्रोल पकड़ा था. यशवंत ने जब टैंकर से पेट्रोल चोरी करते हुए पकड़ने की कोशिश की तो उन्हें केरोसिन डालकर जिंदा जला दिया गया. यशवंत सोनवाने जलकर नहीं मरे उनके साथ साथ हमारी इंसानियत का एक हिस्सा भी जल गया था.

सत्येन्द्र दुबे

  जब सत्येन्द्र दुबे की हत्या की गई तब उनकी उम्र सिर्फ 30 साल थी और उनका गुनाह था ईमानदारी. अपनी हत्या के समय सत्येन्द्र भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण में परियोजना निदेशक के पद पर कार्यरत थे.

सत्येन्द्र दूबे द्वारा स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना में व्याप्त भ्रष्टाचार को जनता के सामने लाये जाने के कारण उनकी हत्या 27 नवम्बर 2003 में गया जिले में हो गई थी. जब सत्येन्द्र को अपने विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का पता चला तो उन्होंने अपने से ऊपर वाले अधिकारियों को इस बारे में शिकायतें की.

लेकिन उन शिकायतों का नतीजा ये निकला कि सत्येन्द्र अपने बेईमान अधिकारियों और भूमाफिया की आँख में चुभने लगे. सत्येन्द्र का तबादला गया में कर दिया गया. वहां जाकर भी सत्येन्द्र दुबे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखी. सत्येन्द्र ने उनके विभाग में चल रहे गोरखधंधे के बारे में प्रधानमंत्री को विस्तृत पत्र लिखा और अपना नाम गोपनीय रखने की बात कही. लेकिन बेईमानी के पैर प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचे थे वह से सत्येन्द्र का नाम अलग अलग विभागों में जारी आर दिया गया. 27 नवम्बर 2007 को जब सत्येन्द्र बनारस से एक विवाह समारोह से लौट रहे थे तो उनकी हत्या कर दी गयी. भारत का एक ईमानदार और होनहार युवा भेंट चढ़ गया बेईमानी और लालच की.

ये तो बस कुछ ही नाम है जो बेरहमी से मार दिए गए सिर्फ इस वजह से कि वो ईमानदार थे. इनमें से किसी को भी अब तक सच्चा इन्साफ नहीं मिल सका है और इनकी हत्या करने वाले आज भी खुले घूम रहे है.

अब बताइए कैसे खत्म होगा हमारे देश से भ्रष्टाचार और बेईमानी का धंधा जब ईमानदारी करने पर इनाम नहीं मौत मिलती हो.

जरा बताएँगे कि “जिन्हें अब भी नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ है?”

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

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Yogesh Pareek

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