मंगल पर घर – नासा के वैज्ञानिक स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरों के साथ मिलकर मंगल ग्रह की सतह पर मौजूद चट्टानों से कंक्रीट और सीमेंट बनाने की संभावना पर रिसर्च कर रहे हैं।
2030 तक मनुष्य को मंगल पर घर – मंगल पर बसाने की योजना के तहत नासा ये सब कर रहा है।
अगर नासा अपनी इस योजना में कामयाब हो जाता है तो उसे मंगल ग्रह पर सुरक्षित तरीके से रहने के लिए हज़ारों टन कंक्रीट की जरूरत पड़ेगी क्योंकि मंगल और चंद्रमा की सतह पर लगातार उल्कापिंडों और खतरनाक विकिरण के कारण बमबारी होती रहती है।
मंगल पर घर – ये है मुश्किल
कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी से हज़ारों टन सीमेंट मंगल पर ले जाना असंभव है इसलिए बेहतर होगा अगर मंगल की सतह पर ही सीमेंट बनाया जाए। इस काम में सबसे बड़ी मुश्किल है कि पृथ्वी पर सीमेंट बनाने की प्रक्रिया में बहुत ज्यादा ताप और ऊर्जा की जरूरत होती है जबकि मंगल पर ऊर्जा की आपूर्ति बेहद कम है।
मिल गया है हल
इसी समस्या से निपटने के लिए नासा के वैज्ञानिक और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के सिविल एंड एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर जैविक क्रिया के ज़रिए मंगल पर ही कंक्रीट तैयार करने की विधि का निर्माण करने में लगे हैं।
शोधकर्ता ऐसा कंक्रीट बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो पशुओं के रक्त में पाए जाने वाले प्रोटीन की मदद से एक-दूसरे को मजबूती से बांधे रहें।
मंगल और चंद्रमा की सतह की परिस्थितियों को पैदा करने के लिए लेपेक ने कृत्रिम रूप से मंगल और चंद्रमा की सतह पर पाई जाने वाली चट्टान जैसी मिट्टी तैयार कर उसमें प्रोटीन मिलाया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह कंक्रीट उल्कापिंडों की बमबारी को भी झेलने में सक्षम है।
शोधकर्ताओं के इस प्रयास से तो लगता है कि 2030 तक वो मंगल ग्रह पर इंसानी दुनिया बसाने का सपना सच कर के ही रहेंगें।