सपने आखों में हों और दिल में जुनून रहे, तो कोई भी अपनी हद से गुजरकर, अपने सपने और जुनून को पूरा कर ही लेता है.
हमारा इतिहास इस तरह की कहानियों से भरा हुआ है. लेकिन कुछ क्षेत्र ऐसे होते हैं, जहां एक आम इंसान कुछ करने की सोचता भी नहीं है. न्यूजीलैंड में एक ऐसे ही बच्चे का जन्म 31 अक्टूबर 1961 को हुआ. इस बच्चे को फिल्मों से बेहद प्यार था. कहते हैं कि वह फिल्मों के लिये जी रहा था, लेकिन परिवार की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह सिनेमा की पढ़ाई कर सके और फिल्म का निर्माण कर सके. इस दौर में न्यूजीलैंड में सिनेमा की हालत भी कुछ ज्यादा सही नहीं थी. यहां शुरू होती है बच्चे के खुद के सपने से लड़ाई. इस शख्स का नाम पीटर जैक्सन है. आपने ये नाम सुना हो या ना सुना हो, पर इनकी फिल्में जरूर आपने देखी होगीं. याद कीजिये ‘द लोर्ड ऑफ द रिंग्स’ और ‘किंग कोंग’.
पीटर जैक्सन के पिता एक छोटी सी फैक्ट्री में काम करते थे और मां इनकी घर संभालती थीं. इनको शुरूआत से ही सिनेमा से लगाव रहा. इन्होनें अपने सपने की शुरूआत, जब ये 9 साल के थे तब की. इनको एक सुपर 8 कैमरा मिला और इन्होनें उसी से तस्वीरें उतारनी शुरू कर दीं.
अपने पहले वीडियो कैमरे के लिये, इन्होनें खुद एक नौकरी की. जिससे पैसे जोड़कर, इन्होनें कैमरा लिया और प्रारंभ में शार्ट फिल्मों का निर्माण किया. सन 1976 में इन्होनें पहली शार्ट फिल्म बनाई, जिसका नाम था ‘वैली’. इसके बाद एक और अच्छी फिल्म और पहली फीचर फिल्म ‘बेड टेस्ट’ 1987 में बनाई. इस फिल्म ने लोगों का ध्यान अपनी ओर किया और न्यूज़ीलैंड की सरकार को भी ये प्रतिभा काफी अच्छी लगी.
कहते हैं कि जब ये 16 साल के थे, तभी इन्होनें अपने स्कूल को छोड़कर, एक समाचार पत्र में नौकरी करना प्रारंभ कर दिया था. यही वह जॉब थी, जिसने पीटर को एक कैमरा खरीदने में मदद की.
प्रारंभ में बनाई फिल्में कुछ ज्यादा खास तो नहीं कर पाईं, किंतु इन फिल्मों ने बस इतना तो अच्छा किया कि पीटर अब हॉलीवुड आ चुके थे. जिस बच्चे ने कभी छोटा सा बीज बोया था, वो अब एक छोटे पौधे से , पूरे एक पेड़ का रूप लेता जा रहा था.
1994 में इन्होनें ‘हेवनली क्रीचर्स’ नामक फिल्म बनाई, जो आस्कर में नोमीनेट हुई. शायद अब पीटर जैक्सन समझ चुके थे कि अब वो वक्त आ गया है जिसके लिये वह आज तक संघर्ष कर रहे थे. यहां इन्होनें अपनी सबसे बेहतरीन फिल्मों को बनाना प्रारंभ किया. 2001 से 2003 तक ‘द लोर्ड ऑफ द रिंग्स’ के तीन पार्ट आये. पहले पार्ट ने जहां 4 आस्कर अपने नाम किये, वहीं दूसरे ने 2 और अंतिम पार्ट ने विश्व में धूम मचा दी. इसे 11 आस्कर मिले. इन सभी पार्ट ने कई अन्य फेस्टीवलों में भी पुरस्कार प्राप्त किये. अब सभी मान चुके थे कि पीटर जी का जन्म हुआ ही फिल्मों के लिये है.
इसके बाद भी इन्होंने कई बेहतरीन फिल्मों का निर्माण किया. जिसमें ‘लवली क्रीचर्स’ ने काफी सराहना प्राप्त की. इसके बाद फिर से पर्दे पर धूम मचाई, ’ होबिट’ के तीनों पार्ट्स ने. अंतिम पार्ट अभी साल 2014 में आया, जिसने कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. पीटर जैक्सन निर्देशित इस फिल्म ने लगभग 60 अरब रूपयों का बिजनेस किया है. यह फिल्म विश्व के लगभग 40 देशों मे रिलीज हुई थी.
पीटर जैक्सन की पूरी कहानी हमें बताती है कि कैसे भी हालात क्यों ना हों, हमने यदि दिल में कुछ करने की जिद रख ली है तो वह जरूर पूरी होती है. वो कहते हैं ना ‘गरीब पैदा होना, पाप नहीं लेकिन गरीब मरना पाप है’ बिल्कुल सही कहते हैं और इस व्यक्ति ने यह सि़द्ध भी किया कि संघर्ष कभी बेकार नहीं जाता है.