एड्स जैसी कथित बीमारी ने अफ्रीका की आधी आबादी और फिर दुनिया के करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में लेकर इन लोगों को बे वजह ही ज़िंदा मौत की सजा सुना दी है.
यदि कोई व्यक्ति एचआईवी पोजिटिव पाया गया है तो उसे एड्स हो ही गया है ऐसा घोषित कर व्यक्ति की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है.
लेकिन कुछ वैज्ञानिक सालों से बोल रहे हैं कि एड्स जैसी कोई बीमारी है ही नहीं.
तो आखिर क्या कारण है कि इनकी आवाज़ पर कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है. ये लोग बता रहे हैं कि एड्स का प्रयोग कर विश्वभर की जनता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. यह वायरस विश्व में एड्स के नाम से फैलाया गया है और आज इसके ईलाज और रिसर्च के नाम पर करोड़ों-अरबों का खेल चल रहा है.
देखिये अलग-अलग रिपोर्ट क्या कहती हैं-
आस्ट्रेलिया के रायल पर्थ अस्पताल के डा. एलीनी ने अभी एचआईवी टेस्टों- एलीसा, वेस्टर्न ब्लाट और पी.सी.आर. की अप्रमाणिकता सिद्ध की है. इनके अनुसार ऐसा कोई भी वायरस नहीं है. यहाँ तक की टीबी, मलेरिया और फ्लू का टीका भी एचआईवी का परिणाम दे सकता है.
इसी प्रकार डा. राबर्टरूट-बर्नस्टेन की एक किताब में साफ़ लिखा गया है कि एचआईवी से एड्स होने, एड्स से एक नई बीमारी होने या इसके संक्रामक होने का कोई सबूत नहीं हैं.
कुछ वैज्ञानिक बता रहे हैं जो वायरस एड्स का जनक बताया जाता है वह कुछ और है. हो सकता है वह टीबी हो या कोई फ्लू हो लेकिन कुछ ख़ास वैज्ञानिकों ने उसे एड्स का नाम दे दिया है तो पुरे विश्व में उसे इसी नाम से जाना जाता जा रहा है.
एचआईवी एड्स के परीक्षण के लिए कोई भी टेस्ट ऐसा नहीं है कि जो वैश्विक स्तर पर सर्वमान्य हो. लगभग तीस तरह के टेस्ट होने के बाद भी एक भी टेस्ट ऐसा नहीं है जिससे वास्तविक वायरस को खोजा जा सके.
एड्स के लिए जो दवायें लोगों को दी जा रही हैं वह उपचार नहीं कर रही हैं बल्कि लोगों को मार रही हैं.
यह कुछ ऐसा है जैसे जापान पर परमाणु हमला किया गया था. नोबेल के लिय नामित वैज्ञानिक डा. पीटर ने एक फिल्म के अन्दर एचआईवी से एड्स हो जाने की बात को सीधे तौर पर नकारा था.
जैक इंडिया के श्री मुल्लोली जी भी इसी विषय पर सालों से रिसर्च कर रहे हैं. वह इस बात को बताते हैं कि एड्स के नाम पर गन्दा खेल चल रहा है. करोड़ों रुपयों का खेल बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ कर रही हैं. कंडोम के नाम पर बड़ा व्यापार हो रहा है. जबकि रिसर्च कहती हैं कि कंडोंम में कई तरह के केमिकल भी प्रयोग होते हैं जो महिलाओं पर गंभीर असर डालते हैं. जो बाद में धीरे-धीरे नजर आते हैं. आजकल महिलाओं में इसीलिए गंभीर बीमारियाँ जन्म ले रही हैं.
गरीब देशों पर नजर:-
एड्स का नाम लेकर एक खास तरह के वायरस को दुनिया में फैलाया गया है.
अफ़्रीकी देशों में यह खेल बड़े स्तर चल रहा है. लोगों पर एड्स के नाम पर अन्य कई तरह के टेस्ट किये जा रहे हैं. लोगों को एड्स बताकर उनपर टेस्ट हो रहे हैं. जिसके चलते लोग मारे जा रहे हैं.
जल्द की इस बात को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है अन्यथा कुछ लोग या कम्पनियां मानव जाति को ही खतरे में डाल सकती हैं.
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