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हिटलर आर्य था? तभी शायद उसने अपने झंडे के लिए स्वस्तिक का चिन्ह चुना था

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कहते हैं कि हिटलर आर्य था. वह हिन्दू धर्म से काफी प्रभावित था.

ना सिर्फ हिटलर बल्कि नाजी सेना के और भी बहुत लोग थे जो आर्यों से काफी प्रभावित थे. आर्यों के अन्दर जो शोर्य और देश प्रेम की भावना होती है इस बात से हिटलर काफी प्रभावित था. ऐसा कुछ जानकार लोग बताते हैं कि ‘कुछ जगहों पर ऐसा लिखा गया है हिटलर मजाक-मजाक में बोलता था कि मैं आर्य हूँ.’

नाजी सेना का चिन्ह ‘स्वस्तिक’

इसी बात की एक झलक तो हम नाजी सेना के झंडे में भी देख सकते हैं. यहाँ हम हिन्दू धर्म के पवित्र प्रतीक स्वस्तिक को देखते हैं. यह चिन्ह हिटलर ने काफी सोच-समझ कर प्रयोग किया था.

हिटलर की कमजोर बातें

पहले विश्व युद्ध से पहले हिटलर को कोई नहीं जानता था. वे एक मामूली आदमी थे जो कि ना किसी से क़रीबी रिश्ते बना पाते थे, ना ही लोगों से बौद्धिक बातें कर सकते थे और जो नफ़रत और पूर्वाग्रह से भरे हुए थे. हिटलर की जीवनी में इन बातों को बताया भी गया है. कोई भी व्यक्ति बहुत ज्यादा देर तक इनसे जुड़ नहीं सकता था. संगठन को जोड़कर चलने की काबिलियत इनमें नजर नहीं आ रही थी. लेकिन हिटलर भारतीय लोगों के संगठन बनाने की कला से काफी प्रभावित थे.

जब कमज़ोरी बन गयी थी ताक़त

पहले विश्व युद्ध में जर्मनी की हार हुई थी. लेकिन हिटलर ने तब म्यूनिख में भाषण दिया तो उनकी कमज़ोरियों को ही उनकी ताक़त समझा जाने लगा. हिटलर के अंदर जो नफ़रत की भावना थी, वो हज़ारों जर्मन वासियों की भावना से मेल खाती थी जो कि वर्साय संधि की शर्तों से अपमानित और शर्मिंदा महसूस कर रहे थे.

उसी तरह हिटलर का एक अच्छा वक्ता ना होना उनके व्यक्तित्व की ताक़त बन गई और उनकी बड़ी-बड़ी बातों के कारण उन्हें एक महान व्यक्ति कहा जाने लगा जो कि भीड़ से अलग अपनी सोच रखता है.

क्यों हिटलर है आर्य

आर्यों के इतिहास को जब आप खोलकर देखोगे तो एक वर्ग के अनुसार जर्मन और यूरोप में आर्यों के होने के सबूत प्राप्त होते हैं.

आर्य जर्मनी, फ्रांस में भी थे. हिटलर की भाषण कला भी कई भारतीय नेताओं से मेल खाती थी. शब्दों का वही चयन और वही आर्यों वाली शैली ने ही एक दिन हिटलर को महान बना दिया. साथ ही साथ स्वास्तिक के चिन्ह को भी लोगों ने खूब पसंद किया.

यही कुछ कारण हैं जिनकी वजह से हम बोल सकते हैं कि हिटलर दिल से, आत्मा से और अपने भावना से एक आर्य ही था.

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