समय का इतिहास – दिन में कुछ घण्टों के लिये नजरें बिना समय देखे रह नहीं पाती।
ऐसा इसलिए कि बचपन से ही हमारे परिजनों ने समय के महत्व के बारे में बताया था। लेकिन हमारे परिजनों ने समय का इतिहास, यह कब और कैसे आया…इसके बारे में किसी भी जानकारी नहीं दी ।
हालांकि आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे कि दुनिया को समय में बांधने वाला वक्त (समय) का भी है अपना एक इतिहास।
आपने बुजुर्ग व्यक्तियों के मुंह से आपने अक्सर यह सुना होगा कि उनके दौर में घड़ी थी ही नहीं। वह आसमान को देखकर ही सुबह, दिन और रात के पहर की चाल के बारे में अपना अंदेशा लगाया करते थे। असल में उस वक्त मानक बनाकर समय निश्चित किया जाता था। जिनसे लोग समय के बारे में जान पाएं।
लेकिन इसके बाद कई देशों में समय के निर्धारण हेतु, कई मानक बनाए गए थे। जैसे की रेत घण्ड़ी, सूर्य घड़ी…तो आगे इन मानकों के बारे में विस्तार से जानते हैं।
समय का इतिहास –
1 – रेत से समय का अंदेशा
रेत घड़ी को आमतौर पर फिल्मों में कई बार देखा गया है। लेकिन इसकी खोज के बारे में उपयुक्त तथ्य नहीं है। मगर कहने वाले रेत घड़ी को अरब का आविष्कार मानते हैं।
2 – सूर्य से समय का अंदेशा
सूर्य घड़ी का आविष्कार, मिस्र में माना गया है। तथ्यों के मुताबिक, सूर्य घड़ी समय की गणना करने वाला पहला आवष्कार है। हालांकि सूर्य देखकर समय बताने वाला यह मानक, सूर्य के उदय न होने पर विफल हो जाता है।
3 – इमारतों पर समय (घंटाघर) देखना
घंटाघर विश्व के कई देशों के साथ दिल्ली के कमलानगर में भी स्थित है। मगर 18 वीं शताब्दी में यह मानक यूरोप से ही आया है। उस समय चर्च की इमारतों पर बड़ी घड़ियां लगाई गई, जिनमें घंटों के हिसाब से समय की गणना की जाती थी।
4 – पॉकेट वॉच
देशों के विकास के बाद समय को पॉकेट वॉच से देखा गया। जो फ्रांस और स्विट्जरलैंड की सीम पर बसे गांव के लोगों ने आविष्कृत की थी। जो बाद में विश्व के प्रत्येक नागरिक की जेब में देखी गयी।
5 – कलाई वॉच (रिस्ट वॉच)
समय के धीरे-धीरे विकास के बाद फिर आयी, कलाई वॉच जो युवाओं के हाथों में अब भी देखी जाती है। यही नहीं रिस्ट वॉच को कई डिजाइन और रंगों में बनाकर कई बड़ी कंपनियां चल रही हैं।
ये है समय का इतिहास. यह कहा जा सकता है कि लोगों को समय पर बांधने वाला समय का भी है अपना एक रोचक इतिहास, जो विश्व की यात्रा के बाद भारत में आया।