इतिहास

हिन्दू धर्म ही नहीं हर सभ्यता में मौजूद है स्वास्तिक… जानिए क्यों हिटलर को प्रिय था ये चिन्ह

स्वास्तिक….. मानव इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण प्रतीकों में से एक.

इस प्रतीक की खास बात ये है कि ये सबसे पवित्र प्रतीकों में से एक है और साथ साथ इसके प्रतीक के इतिहास के साथ लाखों लोगों की दुर्दांत हत्या और अत्याचार की कहानी भी जुड़ी है. आखिर कुछ तो खास बात थी स्वास्तिक चिन्ह में जो अडोल्फ़ हिटलर ने इसे

स्वास्तिक शायद एकमात्र ऐसा प्रतीक है जो सदियों से नहीं बल्कि हजारों सालों से विश्व की की करीब करीब हर सभ्यता में मौजूद रहा है.लेकिन हिन्दू धर्म के इस सबसे पवित्र प्रतीक चिन्ह की उत्पत्ति भारत में नहीं हुई. आज आपको बताते है स्वास्तिक प्रतीक का 12000 साल पुराना इतिहास.

हिन्दू सभ्यता में स्वास्तिक चिन्ह सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण चिन्ह माना जाता है. हर शुभ कार्य के लिए इस प्रतीक का उपयोग किया जाता है. चाहे विवाह हो या गृह प्रवेश या शिशु जन्म हर अवसर पर इस प्रतीक का उपयोग किया जाता है. कुछ लोग मानते है स्वास्तिक चिन्ह की उत्पत्ति हिन्दू धर्म में हुई थी. संस्कृत में स्वास्तिक का अर्थ होता है शुभ. इसीलिए हर कार्य में इस चिन्ह का उपयोग होता है.

 इतिहासकारों के अनुसार स्वास्तिक चिन्ह दो प्रकार का होता है. सकारात्मक और नकारात्मक .

सकारात्मक स्वास्तिक ऊपर की ओर होता है और नकारात्मक स्वास्तिक की भुजाएं नीचे की ओर होती है. प्राचीन सभ्यताओं के बारे में अध्ययन करने पर पता चलता है कि सबसे पहले स्वास्तिक चिन्ह उक्रेन में उपयोग किया गया था.

सकारात्मक स्वास्तिक का अर्थ शुद्धता और शुभ होता है, लेकिन इस चिन्ह का असली अर्थ होता है स्थायी विजय. शायद यही कारण था कि हिटलर ने अपनी नाज़ी पार्टी के लिए इस प्रतीक चिन्ह को चुना था. हिन्दू धर्म के अनुसार भी दक्षिणमुखी स्वास्तिक विष्णु का प्रतीक है और वाममुखी स्वास्तिक काली का प्रतीक.

हिन्दू सभ्यता और हिटलर के अलावा स्वास्तिक चिन्ह का उपयोग दुनिया की लगभग हर प्राचीन सभ्यता में मिलता है. बौद्ध, ग्रीक,रोमन,ईसाई,मध्ययुगीन हर काल और समय में इस प्रतीक चिन्ह  को देखा गया है. स्थान और सभ्यता के अनुसार स्वास्तिक का नाम नही अलग अलग होता रहता है.

सबसे पुराना स्वास्तिक चिन्ह उक्रेन की गुफाओं में मिला है. लेकिन किसी सभ्यता में प्रचलित रूप में इस चिन्ह का सबसे पुराना उपयोग दक्षिणी यूरोप में 8000 वर्ष पूर्व मिलता है. बौद्ध सम्प्रदाय में भी भगवान् बुद्ध के मंदिरों में स्वास्तिक चिन्ह पाए जाते है. बौद्ध धर्म में इस चिन्ह को शांति और सब के सुख से जोड़ा गया है.

रोम की प्राचीन सुरंगों में भी स्वास्तिक चिन्ह पाया गया है. स्वास्तिक के पास zotica zotica लिखा गया है जिसका अर्थ होता है जीवन का जीवन. इसके अलावा स्वास्तिक चिन्ह इथोपिया के रहस्यमयी प्राचीन चर्च में भी पाया गया है. ग्रीक गणितज्ञ और वैज्ञानिक पाइथागोरस ने भी स्वास्तिक चिन्ह का प्रयोग अलग अलग जगह किया है.

देखा आपने जिस प्रतीक चिन्ह को हम हिन्दू धर्म से सम्बंधित मानते है वो चिन्ह तो हजारों सालों से उपयोग में आता रहा है. लेकिन सोचने वाली बात ये है कि ऐसा कैसे संभव हुआ कि विश्व की लगभग हर सभ्यता में इस प्रतीक चिन्ह का उपयोग किया गया है. वो भी लगातार 12000 वर्षों से. कहीं ना कहीं तो इतिहास की कोई ऐसी कड़ी है जिसकी खोज होना अभी तक बाकि है. उस कड़ी के मिलते ही हर सभ्यता के एक दुसरे से जुड़े होने का कारण पता चल जाएगा.

Yogesh Pareek

Writer, wanderer , crazy movie buff, insane reader, lost soul and master of sarcasm.. Spiritual but not religious. worship Stanley Kubrick . in short A Mad in the Bad World.

Share
Published by
Yogesh Pareek

Recent Posts

इंडियन प्रीमियर लीग 2023 में आरसीबी के जीतने की संभावनाएं

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) दुनिया में सबसे लोकप्रिय टी20 क्रिकेट लीग में से एक है,…

2 months ago

छोटी सोच व पैरो की मोच कभी आगे बढ़ने नही देती।

दुनिया मे सबसे ताकतवर चीज है हमारी सोच ! हम अपनी लाइफ में जैसा सोचते…

3 years ago

Solar Eclipse- Surya Grahan 2020, सूर्य ग्रहण 2020- Youngisthan

सूर्य ग्रहण 2020- सूर्य ग्रहण कब है, सूर्य ग्रहण कब लगेगा, आज सूर्य ग्रहण कितने…

3 years ago

कोरोना के लॉक डाउन में क्या है शराबियों का हाल?

कोरोना महामारी के कारण देश के देश बर्बाद हो रही हैं, इंडस्ट्रीज ठप पड़ी हुई…

3 years ago

क्या कोरोना की वजह से घट जाएगी आपकी सैलरी

दुनियाभर के 200 देश आज कोरोना संकट से जूंझ रहे हैं, इस बिमारी का असर…

3 years ago

संजय गांधी की मौत के पीछे की सच्चाई जानकर पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक जाएगी आपकी…

वैसे तो गांधी परिवार पूरे विश्व मे प्रसिद्ध है और उस परिवार के हर सदस्य…

3 years ago