इस दुनिया में जो सही दिखता है वह कई बार गलत हो सकता है और जो गलत दिखता है वह सही हो सकता है.
कहीं पर ऐसा पढ़ा था कि इस दुनिया का अल्पबुद्धि वाला इन्सान वह है जो बड़े मूल्य पर छोटी सी वस्तु खरीदता है. आप इस अंतिम लाइन को कई बार पढ़े तो आप समझ जायेंगे कि हम कहना क्या चाह रहे हैं.
लाखों लोगों को मारकर क्या किसी जमीन के टुकड़े पर राज करना, बुद्धि का सौदा माना जायेगा?
लेकिन इस दुनिया में ऐसा कई बार हुआ है और शायद आगे भी होगा. अभी तक जो विश्व में जो लड़ाइयां लड़ी गयी हैं उनमें से आधे से अधिक तो धर्म और विचारधारा के कारण हुई हैं. असल में इंसान की तासीर शुरू से ही हिंसक रही है. किसी की चीज जो हथिया लेना और उस पर कब्जा कर लेना ऐसा इंसान शुरू से करता आ रहा है. ऐसा ही कुछ उस समय इजरायल में हो रहा था. येरूशलेम के ऊपर हक जताने के लिए बार-बार युद्ध हो रहे थे.
ईसाइयों ने ईसाई धर्म की पवित्र भूमि फिलिस्तीन और उसकी राजधानी यरुशलम में स्थित ईसा की समाधि पर अधिकार करने के लिए 1095 और 1291 के बीच सात बार जो युद्ध किए उसे क्रूसेड युद्ध कहते हैं.
तो आइये आज हम आपको क्रूसेड युद्ध की एक ऐसी हकीकत से वाकिफ कराते हैं जिसे शायद भारत के लोग तो नहीं जानते होंगे-
मुस्लिमों का यहाँ राज था
इतिहास की हमारी पुस्तकें क्रूसेड युद्ध को ईसा के लिए युद्ध या ईसा मसीह के लिए धर्म युद्ध बताती हैं. असल में कुछ 1000 ईसवी के बाद से फिलिस्तीन और उसकी राजधानी यरुशलम पर मुस्लिमों ने कब्जा कर लिया था. तब इसाई लोगों ने ईसा की आजादी के लिए कुछ सात युद्ध लड़े थे जिनको आज धर्मयुद्ध के नाम से जाना जाता है. इस सात युद्धों में कई लाख लोगों की जान चली गयी थी. सन 1095 से 1291 के बीच जो सात बार जो युद्ध हुए हैं उन्हीं को आज क्रूसेड युद्ध कहा जाता है.
तब धर्मयुद्ध के लिए बनाई गयी थी बालकों की सेना
वैसे भारत में इस क्रूसेड युद्ध की अधिक जानकारी तो नहीं है बस कुछ कहानियों में ऐसा बताया गया है कि साल 1212 में फ्रांस के स्तेफा नाम के एक किसान हुए थे.
यह ईसा के परम भक्त थे और वह चमत्कार भी किया करते थे. एक बार इन्होनें घोषणा की थी कि इनको ईसा ने बताया है कि बालकों की सेना बनाकर मुसलमानों से यरूशलम को आजाद कराओ. जब लोगों ने इस किसान की यह बात सुनी तो राज्य में प्रचार किया गया था कि यरूशलम को आजाद कराने के लिए बालकों की आवश्यकता है. इस प्रकार कई जगह बताया गया है कि 50 हजार बालक जिनकी उम्र 12 साल और उससे कम थी, वह धर्मयुद्ध के लिए तैयार किये गये थे.
वहीँ कई जगह बालकों की संख्या 30 हजार बताई गयी है.
इस प्रकार आगे इस घटना में उल्लेख है कि कुछ सात पानी के जहाज बालकों के भरे हुए युद्ध के लिए यरूशलम की तरफ निकले थे. इनमें से दो तो समुद्र में ही डूब गये थे. ऐसा बोला गया है और बाकी बालकों ने आज जहाँ इजरायल है वहां मुस्लिमों से युद्ध लड़ा था. इस युद्ध में बालकों ने वैसे काफी टक्कर से तो लड़ाई लड़ी ही थी किन्तु युद्ध का परिणाम बालकों के हक़ में नहीं गया था.
तब जो बच्चे युद्ध में बंधी बनाये गये थे उनको सिकंदरिया में दास बनाकर ऊँचें दामों में बेचा गया था.
तो इस प्रकार से विश्व का यह क्रूसेड युद्ध / धर्मयुद्ध इकलौता ऐसा धर्म युद्ध रहा है जिसमें इतनी छोटी उम्र के योद्धाओं ने हिस्सा लिया था. वैसे इस युद्ध में बालको को युद्ध के लिए भेजने वाला फैसला जिस भी व्यक्ति ने लिया था क्या आप उसको बुद्धिमान बोल सकते हैं?
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