लगता है योगी लहर का असर अब उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य बिहार में भी होने लगा है.
वहां से जिस प्रकार की खबरे आ रही हैं उसको देखते हुए तो यही कहा जा सकता है कि बिहार में भी हिंदुत्व की लहर दवाब बना रही है. अगर सब कुछ इसी प्रकार ही चलता रहा तो आने वाले दिनों में लालू का हाजमा खड़बड़ा सकता है.
क्योंकि यूपी के बाद अब बिहार में भी अवैध बूचड़खाने बंद किए जाएंगे. नीतिश सरकार जिलों में चल रहे अवैध बूचड़खानों को न केवल बंद करने जा रही है बल्कि वैध बूचड़खाना पर भी नजर रखेगी.
आपको बता दें कि शराब बंदी के बाद नीतिश सरकार का यह ऐसा फैसला होगा जिसे लालू को पचाना आसान नहीं होगा. क्योंकि नीतिश सरकार पहले शराब बंदी करके लालू को नाराज कर चुकी है.
बताया जाता है शराब के कार्य में जो लोग लगे हुए थे उनमें से एक बड़ा वर्ग लालू का समर्थक वर्ग था. और अब नीतिश सरकार के बूचड़खानों पर पाबंदी से भी लालू को ही सबसे अधिक बेचैनी होने वाली है.
साथ ही बिहार सरकार के इस कदम को नीतिश के भाजपा से नजदीकी के भावी संकेतों के तौर पर भी देखा जा रहा है.
बताते चले कि इस सिलसिले में सभी जिलों के डीएम व एसपी को पत्र लिखा गया है. जिसमें उनसे कहा गया है कि वे अवैध बूचड़खानों को तत्काल बंद करा मुख्यालय को रपट भेजें. साथ ही वैध बूचड़खानों पर भी नजर रखें.
विधान परिषद में शनिवार को भाजपा के सूरजनंदन प्रसाद के सवाल पर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री अवधेश कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेश में अवैध रूप से पशुओं का वध करने की इजाजत नहीं है.
इस संबंध में 2012 में ही आवश्यक दिशा निर्देश जारी कर दिए गए थे. इस मामले में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. सभी डीएम और एसपी से वैध बूचड़खानों की सूची मांगी गई है.
पशु संरक्षण एवं संवर्द्धन अधिनियम 1955 के तहत पशुओं का वध किया जा सकता है. मगर, एक्ट में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि पंद्रह साल से अधिक आयु और शारीरिक रूप से अक्षम पशुओं का ही वध किया जा सकता है. इसके लिए लाइसेंस लेना जरूरी है.
लेकिन कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है. प्रदेश में कम आयु के पशुओं का वध किया जा रहा है.
जानकारी के अनुसार, प्रदेश में करीब डेढ़ सौ बूचड़खाने चल रहे हैं, जिसमें से आधा दर्जन को भी लाइसेंस नहीं है.
बताया जाता है कि किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार में अवैध बूचड़खानों की संख्या सबसे अधिक है. पशुओं पर क्रूरता रोकने को लेकर डीएम की अध्यक्षता में हर जिले में कमेटी गठित है. जो पशुओं पर अत्याचार रोकने के लिए अभियान चलाती है.