इतिहास

हिन्दुओं को चमड़े की चीजों का उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए !

सनातन धर्म में चमड़े की चीजें प्रयोग करना साफ़ मना है.

असल में चमड़े का उपयोग हिन्दुओं ने कभी किया ही नहीं था.

भारतवर्ष में सदियों से ही कपड़े की बनी चीजों का इस्तेमाल होता आया है. तो आखिर सवाल उठता है कि भारत में चमड़े आया कहाँ से और चमड़े की चीजें कब उपयोग होना शुरू हो हुई है?

तो आपको आज हम भारत में चमड़े की कहानी बताते हैं-

चमड़े की कहानी – 

जरा भारत का इतिहास पढ़ लो – 

मध्यकालीन हिन्दुस्तान में जब मुसलमान भारत में आये तो वह लोग भारत के अन्दर चमड़ा लेकर आये थे. बाद में भारत में आने के बाद कई स्वाभिमानी जातियों को नीचा दिखाने के लिए और जब कई जातियों ने इस्लाम स्वीकार नहीं किया गया तो इन जातियों से मरे पशुओं की खाल उतरवाकर, चमड़ा बनवाया गया था. खासकर गोचर्म को इस्लाम में परोक्ष रूप से महत्वपूर्ण माना गया है. सवाल आज के मुसलमान का नहीं है. क्योकि बुरे तो वो मुस्लिम थे जो विदेशी थे और इन्होनें ही भारत को बाँटने के लिए चमड़े और खासकर गाय के चमड़े पर जोर दिया था.

मंदिरों में किया जाता था खून का छिड़काव –

बग़दाद के खलीफा ने अपने सेनापति मुहम्मद बिन कासिम को बैल की खाल में भरकर तीन दिनों तक कठोर यातना दी थी. आप कोई सनातन शास्त्र पढ़ लीजिये और इस तरह की सजा खोजिये. सनातन में पशु की खाल और उसके उपयोग जैसी चीजें मौजूद नहीं हैं. यह खाल और चमड़ा जैसी चीजें विदेशी मुसलमान भारत में लाये थे. मंदिरों को लुटने के लिए मंदिर के अन्दर गाय के खून को छिड़का जाता था. इस कार्य से हिन्दुओं की भावना को चोट पहुँचती थी. हिन्दुओं की आस्था पर ही चोट पहुँचाने के लिए गाय की खाल को उतारकर चमड़ा बनाया जाता था. प्रारंभ में कोई भी हिन्दू चमड़े का उपयोग नहीं करता था.

आज से कुछ 10 साल पहले चमड़े को लेकर हिन्दुओं की मानसिकता अलग थी –

आप आज से कुछ 10 साल पहले चलें तो आपको याद आएगा कि आपके माता-पिता या दादा-दादी चमड़े के सामान आपको इस्तेमाल करने से मना करते होंगे. असल में पशुओं की हत्या करके ही या मरे पशुओं की खाल से चमड़ा बनता है और इसी का उपयोग हिन्दू बड़े शान के साथ करते हैं.

अच्छा आपने कभी यह सोचा है कि एक खास जानवर की खाल से चमड़ा क्यों नहीं बनाया जाता है?

वह जानवर एक धर्म में हराम है. तो क्या उसकी खाल से चमड़ा क्या बन नहीं सकता है?

इसका जवाब यही है कि विदेशी मुसलमानों ने उस जानवर को हाथ ही नहीं लगाया था. खासकर बात हो हिन्दुओं की तो भारत में मरे पशु की खाल से कभी कुछ नहीं बनाया गया था. यह चमड़ा हिन्दू धर्म की चीज ही नहीं है. लेकिन जानकारी के अभाव में आज चमड़े की चीजें हिन्दू लोग बड़े गर्व के साथ इस्तेमाल कर रहे हैं.

ये है चमड़े की कहानी –

Chandra Kant S

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