क्या सन 1948 तक बलूचिस्तान एक स्वतंत्र देश था?
क्या बलूचिस्तान के संबंध सीधे लन्दन तक होते थे? क्या भारत ने कभी बलूचिस्तान की मदद नहीं की है?
सवाल कई सारे हैं लेकिन आप कभी वहां के लोगों से बात करोगे तो पता चलेगा कि यह छोटा सा देश, जो बोलता है कि वह पाकिस्तान द्वारा घेरा गया है. वहां आज गरीबी और भुखमरी जैसे ही कुछ हालात हैं. यहाँ के हिन्दुओं को पाकिस्तानी सेना जासूसी के नाम पर आये दिन गिरफ्तार कर लेती है.
क्या कहा विश्व बलूच महिला मंच की अध्यक्ष ने
विश्व बलूच महिला मंच की अध्यक्ष ने भारत सरकार से ‘बलूचिस्तान स्वतंत्रता आंदोलन’ में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है. इन्होंने कहा कि भारत सरकार बलूचियों के साथ उनके स्वतंत्रता आंदोलन में कंधे से कंधा मिलाकार कर खड़ा हो और अपने सूचना विभाग दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो के द्वारा बलूचिस्तान की परिस्थितियों को उजागर करने में मदद करे.
क्या बोलना है यहाँ के एक प्रोफ़ेसर का
बलूचिस्तान भारत के साथ रिश्तों में ईमानदारी, सच्चाई और भावुकता की कामना करता है.
जिस प्रकार भारत को अस्थिर करने में पाकिस्तान लगातार कश्मीर का इस्तेमाल करता आ रहा है, उसी प्रकार भारत को बलूचिस्तान को पाकिस्तान के खिलाफ “एक कार्ड” की तरह इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. बलूचिस्तान स्वतंत्रता आंदोलन को आगे ले जाने के लिए राजनीतिक साहस की जरूरत है. सरकार को बयान देने के बजाय नीति बनाना चाहिए है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार बलूचिस्तान को कार्ड की तरह की इस्तेमाल करे बल्कि मुश्किल की घड़ी में हमारे साथ खड़ा रहे. बलूचिस्तान स्वतंत्रता आंदोलन में भारत सरकार का साथ चाहिए. लेकिन सबसे पहले सरकार को तय करना होगा कि बलूचिस्तान उसके एजेंडे में है या नहीं.
उसके बाद सरकार को भारतीय लोगों को भी बलूचिस्तान की स्थितियों के बारे में अवगत करना चाहिए.
तो ऐसा यह लोग इसलिए बोल रहे हैं क्योकि वहां रह रहे सिखों और हिन्दुओं का ध्यान कोई नहीं रख रहा है. यहाँ हो रहे कत्लेआम पर भारत कुछ नहीं बोल रहा है. जबकि सभी जानते हैं कि उस पर पाकिस्तान ने धोखे से कब्ज़ा कर लिया है. आज यहाँ के लोग आजादी के लड़ रहे हैं और आजादी की इस लड़ाई में वह भारत का साथ चाहते हैं.
अंग्रेजों के इशारे पर सन 1947 में यह सब खेल हुआ था. तब बलूचिस्तान के स्वतंत्र सम्बन्ध लन्दन और कई अन्य देशों से होता था. कुछ लोगों ने इसी का फायदा उठाते हुए बलूचिस्तान के साथ अन्याय किया है.
अब यह देश विश्व के सामने अपने आजादी के मुद्दे को उठा रहा है और भारत से उम्मीद कर रहा है कि अब वह भी इस देश की आजादी में पूरा-पूरा योगदान दे.