10. आचार्य चाणक्य-
चाणक्य को हम सभी अखंड भारत के रचियता के रूप में पहले से जानते हैं लेकिन आज हम जिस ‘अर्थशास्त्र” को पढ़ते हैं उसकी रचना स्वयं आचार्य चाणक्य ने की थी.
इसे हिन्दुस्थान का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा कि इतने सारे अविष्कारों की धरती होने बाद भी यह धरती अपने गौरवशाली इतिहास की रक्षा उन आक्रमणकारियों से नहीं कर पाई, जिन्होंने इस देश की इन धरोहरों को लूट कर अपने नाम से दुनिया में फैलाया.
ज़रा गौर करे कि इस तरह के और कई तथ्य, अगर आज के हिन्दुस्थान तक सामने आये तो हिन्दुस्थान फिर से उस गौरव को पा सकता हैं.