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हिन्दू धर्म हैं पूरी तरह वैज्ञानिक जानिए कैसे?

हिन्दू धर्म कितना पुराना हैं यह तो कोई नहीं जानता लेकिन इस धर्म में कई ऐसी परम्पराएं हैं, जो पूर्ण रूप से वैज्ञानिक हैं.

भले ही विश्व में कई धर्म हुए जो हिन्दू धर्म से कही अधिक बड़े थे पर हिन्दू धर्म की इसी खासियत के कारण ही  हिन्दू धर्म आज भी बचा हैं और निरंतर आगे बढ़ रहा हैं.

हमारे जीवन से जुड़ी कई बहुत सामान्य सी परम्पराएं और रीति रिवाज़ हैं जो देखने में मामूली लग सकती हैं लेकिन असल में वह वैज्ञानिक हैं.

1.  नमस्ते करना-

हिन्दू धर्म में जब भी हम किसी से मिलते हैं तो उनका अभिवादन दोनों हाथ जोड़ कर नमस्ते कहकर करते हैं. इसमें वैज्ञानिक सोच यह हैं कि जब हम हाथ जोड़ते हैं तब हमारी उँगलियाँ जुड़ती हैं और उस ऐकुयप्रेशर का असर हमारी आँख, कान और दिमाग तीनों जगह में होता हैं और जिस शख्स से हम मिलते हैं वह हमें लम्बे समय तक याद रहता हैं और हाथ मिलाने की जगह हाथ जोड़ने से सामने वाले व्यकित के कीटाणु हम तक नहीं पहुचते हैं.

2.  तिलक और बिंदी-

आँख और माथे के बीच एक नस होती हैं. तिलक या बिंदी लगाने से उस जगह की उर्जा बनी रहती हैं. जब हम माथे पर उन्गुठे या उंगली से तिलक या बिंदी लगाते हैं, तब उन पर दबाव पड़ता हैं और चेहरे तक रक्त पहुचाने वाली मांसपेशियाँ सक्रिय होती हैं जिससे चेहरे तक रक्त का बहाव बढ़ जाता हैं, जो चेहरे के लिए अच्छा होता हैं.

3.  ज़मीन पर बैठकर खाना-

हम भारतीय ज़मीन पर बैठ कर ही खाना पसंद करते हैं. इस तरह बैठकर खाना खाने के लिए  हम पालथी लगा कर बैठते हैं, जिसे योग में सुखासन भी कहा जाता हैं. इस अवस्था में खाने के लिए हम आगे झुकते हैं तो पेट की मांसपेशियों में हरकत होती हैं जिससे पेट में एसिड बनता हैं जो पाचन क्रिया के लिए बहुत कारगर होता हैं. साथ ही इस तरह बैठ कर खाने से वजन भी कम होता हैं.

4.  कान छिदाना-

आज कल कान छिदाना को हम पीअरिसिंग भी कहते हैं. भले ही आज यह ट्रेंड बन गया हैं लेकिन इसके पीछे कि वैज्ञानिक वजह यह कि इससे सोचने की शक्ति बढती हैं और हमारा मूत्रतंत्र सुचारू रूप से काम करता हैं.

5.  खाने की शुरुआत तीखे से अंत मीठे से-

हिन्दू धर्म में खाने की शुरुआत में तीखा या नमकीन इसलिए खाने को कहा जाता हैं क्योकि ऐसे भोजन पेट में अम्लीय तत्व बढ़ाते हैं, जो पाचन में सहायक होता हैं और मीठा अंत में खा कर उस अम्लीयता को कम किया जाता हैं. मीठा खाने की एक वजह और हैं कि इससे मुह में अधिक लार बनती हैं जो भोजन को पचाने में बहुत कारगर सिद्ध होती हैं.

6.  पीपल की पूजा-

पीपल ही एक मात्र पेड़ हैं जो रात में ऑक्सीजन छोड़ता हैं. इस पेड़ को लोग न काटें इसलिए इस पेड़  की पूजा करने का रिवाज़ शुरू कर दिया गया.

7.  व्रत करना-

व्रत करने के दिन हम जब शाकाहार करते हैं तो इससे हमारे शरीर से अवनाछित तत्व बाहर निकलते हैं और अच्छी उर्जा अंदर आती हैं. इसलिए व्रत करने की परंपरा हमारे धर्म बनायीं गयी हैं.

8.  चरणस्पर्श-

हिन्दुओं में यह कहा जाता हैं कि अपने बड़ो से पैर छूकर प्रणाम करो और बड़े हमें हाथों से छूकर आशीर्वाद देते हैं. झुक कर पैर छूने से लेकर बड़ों के हाथ बढ़ाने तक में एक चक्र बनता हैं, इस चक्र को उर्जा चक्र कहते हैं, जो दो व्यक्तियों के बीच बनता हैं. यह चक्र सकारात्मक उर्जा का प्रवाह करता हैं.

9.  मांग का सिंदूर-

विवाहित महिलाओं को मांग भरने के लिए कहा जाता हैं, इसके पीछे की एक वजह यह हैं कि इससे रक्तचाप नियंत्रण में रहता हैं.

10.  दक्षिणदिशा में सर रख सोना-

जब हम उत्तर की ओर सर कर के सोते हैं तब पृथ्वी की चुम्बकीय तरंगों के सीधे संपर्क में आ जाते हैं जिससे हमारे शरीर में मौजूद आयरन यानि लोहा दिमाग की ओर जाने लगता हैं जो अल्जाइमर और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारी की वजह बनते हैं. इसलिए दक्षिण दिशा का ध्यान रख कर सोये.

इस तरह की कई और परम्पराएं हिन्दू धर्म में हैं, जो वैज्ञानिक हैं.

तो अब अगर आप भले ही धर्म जैसी चीज़ों पर यकीन नहीं करते लेकिन वैज्ञानिक तौर पर तो इसे मान ही सकते हैं.

Sagar Shri Gupta

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